19 जून 2025 — एक तारीख जिसने रणथंभौर की जंगल रानी को अलविदा कहा।
रणथंभौर ने अपनी सबसे बहादुर और प्रतिष्ठित बाघिनों में से एक, ‘एरोहेड‘ को खो दिया। 14 साल तक इस जंगल पर राज करने वाली इस बाघिन की मौत सिर्फ एक प्राणी की मौत नहीं थी — यह एक युग का अंत था।
एरोहेड कौन थी?
एरोहेड, रणथंभौर की बेहद मशहूर बाघिन T-84 के नाम से भी जानी जाती थी।
- वह फेमस बाघिन ‘कृष्णा‘ (T-19) की बेटी और ‘मछली‘ (Machhli) की पोती थी – यानी एक शाही वंश की वारिस।
- लेकिन एरोहेड ने अपनी खुद की पहचान बनाई — एक जुझारू शिकारी, एक समर्पित मां और एक सच्ची ‘रानी’ के रूप में।
आखिरी तस्वीरें, आखिरी पल
17 जून 2025 की शाम, वाइल्डलाइफ फोटोग्राफर @sachin_rai_photography ने पद्म तालाब के किनारे एरोहेड की आखिरी झलक कैमरे में कैद की।
कमजोर शरीर, उभरी हुई पसलियां, डगमगाते कदम — लेकिन आँखों में वही जंगल वाली गहराई, वही आत्मविश्वास।

एक जीवन, जो सिर्फ ताकत नहीं बल्कि हिम्मत की मिसाल था
- एरोहेड ने अपनी मां का क्षेत्र अपने दम पर हासिल किया।
- उसने कई बार शावकों को खोया, लेकिन हर बार खुद को संभाला।
- यहां तक कि बीमारी से जूझते हुए भी उसने अपने आखिरी दिनों में एक मगरमच्छ का शिकार किया — जैसे वो संदेश देना चाहती हो कि “शेरनी कभी हार नहीं मानती।”
बेटी ‘रिद्धि’ और विरासत का अंतर्निहित संदेश
एरोहेड की बेटी ‘रिद्धि‘, कुछ ही घंटे पहले जंगल छोड़ गई थी। और मां उसी दिन चली गई।
क्या ये संयोग था या प्रकृति की एक मौन भाषा — कि जब बेटी ने जंगल छोड़ा, मां ने अपनी सांसों से विरासत सौंप दी?
रणथंभौर की यादों में अमर
आज रणथंभौर शांत है।
पर पद्म तालाब की हवाएं, पेड़ों की सरसराहट, और जंगल की तन्हाई – सब उसकी मौजूदगी को महसूस कर रहे हैं।
एरोहेड अब भले ना हो, लेकिन रणथंभौर की मिट्टी में उसकी गूंज हमेशा जिंदा रहेगी।
मुख्य तथ्य (Quick Facts):
- नाम: एरोहेड (T-84)
- मृत्यु तिथि: 19 जून 2025
- उम्र: लगभग 14 वर्ष
- वंश: मछली (दादी), कृष्णा (मां)
- जगह: रणथंभौर नेशनल पार्क, राजस्थान
- आखिरी झलक: पद्म तालाब, 17 जून 2025
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