भारत की अर्थव्यवस्था 2025-26 में 6.3-6.8% ग्रोथ के अनुमान के साथ आर्थिक सर्वे 2025 पेश
31 जनवरी 2025 को संसद में वित्त मंत्री निर्मला सीतरमण ने भारत के Economic सर्वे 2025 की रिपोर्ट पेश की, जिसमें सरकार ने आगामी वित्त वर्ष 2025-26 के लिए भारतीय अर्थव्यवस्था की जीडीपी वृद्धि दर के 6.3 से 6.8 प्रतिशत तक रहने का अनुमान जताया है। यह आंकड़ा पिछले वर्ष के मुकाबले सकारात्मक संकेत देता है, हालांकि यह कुछ अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं के अनुमानों से थोड़ा कम है। Economic सर्वे भारतीय अर्थव्यवस्था के वर्तमान प्रदर्शन के अलावा, अगले साल की संभावनाओं और चुनौतियों को भी उजागर करता है।
IMF और वर्ल्ड बैंक के अनुमान से मेल
Economic सर्वे में जो अनुमान पेश किए गए हैं, वे इंटरनेशनल मॉनिटरी फंड (IMF) के अनुमानों के काफी करीब हैं। IMF ने भी आगामी वित्त वर्ष के लिए भारत की जीडीपी ग्रोथ को 6.5 प्रतिशत तक रहने का अनुमान जताया है, जो सरकार के अनुमान के अनुरूप है। हालांकि, वर्ल्ड बैंक ने भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए 6.7 प्रतिशत की ग्रोथ दर का अनुमान व्यक्त किया है, जो सरकार के अनुमानों से थोड़ा अधिक है। यह अंतर देश के आर्थिक दृष्टिकोण को लेकर विभिन्न संस्थाओं के अलग-अलग दृष्टिकोण को दर्शाता है।
वैश्विक आर्थिक परिस्थितियां और उनका प्रभाव
इसके अलावा, Economic सर्वे में एक और महत्वपूर्ण पहलू सामने आया है। रिपोर्ट में यह बताया गया कि ग्लोबल Economic कंडीशन, जैसे अंतरराष्ट्रीय व्यापार में गिरावट और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में खलल, भारत की आर्थिक वृद्धि पर असर डाल सकते हैं। कुछ रिपोर्टों में यह भी अनुमान जताया गया था कि 2025-26 के लिए जीडीपी ग्रोथ दर 7 प्रतिशत से कम हो सकती है। ये गिरावट मुख्य रूप से वैश्विक आर्थिक अस्थिरता, उच्च ऊर्जा कीमतों और भू-राजनीतिक तनाव के कारण हो सकती है।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का जॉब मार्केट पर प्रभाव
इस बार Economic सर्वे में एक और महत्वपूर्ण पहलू जो जोड़ा गया है, वह है आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का भारतीय जॉब मार्केट पर प्रभाव। सर्वे में यह बताया गया कि AI के बढ़ते प्रभाव से भारत के श्रम बाजार को नई रणनीतियों की आवश्यकता होगी। आने वाले समय में, श्रमिकों को नए कौशल सीखने की जरूरत हो सकती है, ताकि वे तकनीकी बदलावों के साथ तालमेल बना सकें। इसके अलावा, सरकारी नीतियों और उपायों को भी इस नए बदलाव को ध्यान में रखते हुए तैयार करना पड़ेगा।
जॉब मार्केट और रोजगार के अवसर
Economic सर्वे में भारत के रोजगार बाजार का विश्लेषण भी किया गया। रिपोर्ट में यह उल्लेख किया गया कि रोजगार सृजन में चुनौतियां हैं, लेकिन रोजगार के नए अवसर भी उत्पन्न हो सकते हैं, खासकर डिजिटल और तकनीकी क्षेत्रों में। सर्वे ने यह भी सुझाव दिया कि भारत को अपने श्रमिकों को नई तकनीकों से अवगत कराने के लिए शिक्षा और प्रशिक्षण पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है।
2025 की पहली छमाही में धीमी वृद्धि, लेकिन दूसरी छमाही में सुधार की उम्मीद
मुख्य आर्थिक सलाहकार वी अनंत नागेश्वरन ने भी Economic सर्वे में कुछ महत्वपूर्ण बातें साझा की। उन्होंने बताया कि वित्त वर्ष 2025 की पहली छमाही में भारत की जीडीपी वृद्धि दर 6% तक धीमी हो सकती है, लेकिन दूसरी छमाही में स्थिति में सुधार की उम्मीद है। इसके पीछे मुख्य कारण आंतरिक सुधारों, सरकारी खर्च में वृद्धि और वैश्विक व्यापार में सुधार हो सकते हैं। हालांकि, यह सुधार वैश्विक आर्थिक दबावों और घरेलू चुनौतियों के बीच कैसा रहेगा, यह देखना होगा।
आर्थिक सर्वे का महत्व
आर्थिक सर्वे प्रत्येक साल के बजट से पहले संसद में पेश किया जाता है, और यह सरकार की आर्थिक नीतियों और रणनीतियों की दिशा को स्पष्ट करता है। यह न केवल भारत की अर्थव्यवस्था के वर्तमान प्रदर्शन का मूल्यांकन करता है, बल्कि अगले वित्तीय वर्ष के लिए संभावित सुधारों और विकास की योजनाओं की रूपरेखा भी तैयार करता है। आर्थिक सर्वे के माध्यम से सरकार यह दर्शाती है कि वह आने वाले समय में आर्थिक विकास के लिए किस दिशा में काम करेगी।
वित्त मंत्री द्वारा पेश किए गए प्रमुख बिंदु
वित्त मंत्री निर्मला सीतरमण ने Economic सर्वे की रिपोर्ट पेश करते हुए कहा कि सरकार का उद्देश्य अगले साल भारत को एक स्थिर और सशक्त अर्थव्यवस्था के रूप में स्थापित करना है। उन्होंने यह भी कहा कि आर्थिक सुधारों के साथ-साथ रोजगार के अवसरों को बढ़ावा देना, गरीबों के लिए कल्याणकारी योजनाओं का विस्तार करना और भविष्य में बढ़ते उद्योगों को सशक्त करना सरकार की प्राथमिकता होगी।
भारत का विकास: एक लंबा रास्ता
भारत की अर्थव्यवस्था के लिए Economic सर्वे 2025 ने कई सकारात्मक संकेत दिए हैं, लेकिन साथ ही कुछ चुनौतियों का भी सामना करना पड़ सकता है। जीडीपी वृद्धि दर का अनुमान 6.3 से 6.8 प्रतिशत के बीच रहने का अर्थ है कि भारत की अर्थव्यवस्था अगले कुछ सालों में स्थिर वृद्धि के रास्ते पर चल सकती है, बशर्ते उसे आंतरिक और बाहरी चुनौतियों का सामना करना पड़े। आर्थिक सर्वे इस दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह सरकार की नीतियों और योजनाओं की दिशा को तय करने में मदद करता है और देश की आर्थिक रणनीतियों का खाका प्रस्तुत करता है।
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