पुणे में GBS से दो मौतें, मरीजों की संख्या 101 हुई; अजित पवार ने किया फ्री इलाज का ऐलान

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पुणे में GBS से मौतों का सिलसिला जारी, 101 मामले सामने आए, अजित पवार ने फ्री इलाज का ऐलान

पुणे में गुलियन बैरे सिंड्रोम (GBS) बीमारी से हाहाकार मच गया है। पिछले कुछ दिनों में इस बीमारी के कारण दो मौतें हो चुकी हैं और मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। अब तक 101 मामले सामने आ चुके हैं और इनमें से 16 मरीज वेंटिलेटर पर हैं। इस बढ़ती महामारी को देखते हुए महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजीत पवार ने पुणे नगर निगम के कमला नेहरू अस्पताल में GBS के मरीजों का फ्री इलाज देने का ऐलान किया है। साथ ही उन्होंने अन्य सरकारी अस्पतालों में भी मुफ्त इलाज की घोषणा की है। यह निर्णय पुणे में जीबीएस के बढ़ते मामलों और इलाज की महंगाई को ध्यान में रखते हुए लिया गया है।

GBS बीमारी और इसके लक्षण

गुलियन बैरे सिंड्रोम (GBS) एक दुर्लभ लेकिन गंभीर बीमारी है, जिसमें इम्यून सिस्टम शरीर की नसों पर हमला करता है। इसके लक्षणों में दस्त, पेट दर्द, बुखार, मतली, और उल्टी शामिल हैं। बीमारी के शुरुआती लक्षणों को पहचानना महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसके बाद मांसपेशियों में कमजोरी, सुन्नपन और लकवे जैसे गंभीर लक्षण विकसित हो सकते हैं। यदि यह समय रहते इलाज न किया जाए तो मरीज की स्थिति गंभीर हो सकती है।

इस समय पुणे में GBS के मरीजों की संख्या में तेजी से वृद्धि हुई है। हालांकि, GBS एक उपचार योग्य स्थिति है और यदि इसका इलाज सही समय पर किया जाए तो अधिकांश मरीजों को ठीक किया जा सकता है। लेकिन, इलाज की लागत बहुत अधिक होती है, और एक इम्युनोग्लोबुलिन (IVIG) इंजेक्शन की कीमत लगभग 20,000 रुपये है, जिससे इलाज की लागत और भी बढ़ जाती है।

पुणे में बढ़ते मामले और जांच

पुणे के प्रमुख अस्पतालों में पिछले कुछ दिनों में जीबीएस के मरीजों की संख्या में तेजी से वृद्धि देखने को मिली है। 10 जनवरी को 26 मरीज भर्ती हुए थे, जो शुक्रवार तक बढ़कर 73 हो गए। इसके बाद पुणे स्वास्थ्य विभाग ने इस बीमारी के मामलों को गंभीरता से लिया और जांच की प्रक्रिया शुरू की। इस दौरान कैम्पिलोबैक्टर जेजुनी बैक्टीरिया का पता चला, जो जीबीएस के मामलों का प्रमुख कारण बन सकता है।

विशेषज्ञों का कहना है कि कैम्पिलोबैक्टर जेजुनी बैक्टीरिया विश्वभर में जीबीएस के लगभग एक तिहाई मामलों के लिए जिम्मेदार है। इस बैक्टीरिया के कारण उत्पन्न होने वाले संक्रमण गंभीर हो सकते हैं। पुणे के अधिकारियों ने अब पानी के नमूने इकट्ठा किए हैं, खासकर उन क्षेत्रों से जहां जीबीएस के मामले सामने आ रहे हैं, ताकि संक्रमण के स्रोत का पता चल सके।

जल स्रोतों में बैक्टीरिया का स्तर बढ़ना

जांच से यह भी सामने आया कि पुणे के खड़कवासला बांध के पास स्थित एक कुएं में बैक्टीरिया ई. कोली का उच्च स्तर पाया गया है। हालांकि, यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि इस कुएं का उपयोग किया जा रहा था या नहीं, लेकिन अधिकारियों ने लोगों से आग्रह किया है कि वे पानी को उबाल कर पीएं और खाने से पहले अपने भोजन को अच्छी तरह से गर्म करें।

GBS का इलाज और इसकी महंगाई

GBS का इलाज काफी महंगा है, और मरीजों को आमतौर पर IVIG इंजेक्शन के एक कोर्स की आवश्यकता होती है। मरीज की स्थिति के अनुसार इन्हें कई इंजेक्शन दिए जाते हैं, जिनकी कीमत 20,000 रुपये प्रति शॉट तक हो सकती है। एक मरीज को 13 इंजेक्शनों के कोर्स की आवश्यकता हो सकती है, जो इलाज की कुल लागत को काफी बढ़ा सकता है।

इसी संदर्भ में, अजीत पवार ने घोषणा की कि पुणे नगर निगम के अस्पतालों में जीबीएस के मरीजों का मुफ्त इलाज किया जाएगा। इसके अलावा, पिंपरी-चिंचवाड़ के लोगों के लिए इलाज वाईसीएम अस्पताल में और ग्रामीण क्षेत्रों के नागरिकों के लिए ससून अस्पताल में मुफ्त उपलब्ध होगा। यह कदम पुणे में जीबीएस के बढ़ते मामलों को देखते हुए उठाया गया है, ताकि मरीजों को इलाज के लिए आर्थिक रूप से अधिक बोझ न झेलना पड़े।

GBS के कारण और सावधानियाँ

अधिकारियों ने बताया कि जीबीएस के अधिकांश मामले दूषित पानी या खाने से हो सकते हैं। पुणे में बीते कुछ समय में जल संकट की स्थिति उत्पन्न हुई है, जिससे पानी की गुणवत्ता पर सवाल उठ रहे हैं। लोग उबला हुआ पानी पीने और खुले में रखा हुआ खाना न खाने के लिए advised हैं। इसके अलावा, टीकाकरण, सर्जरी, और न्यूरोपैथी जैसे कारक भी जीबीएस को ट्रिगर कर सकते हैं।

स्वास्थ्य विभाग की कार्रवाई

स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने अब तक 25,578 घरों का सर्वेक्षण किया है, ताकि जीबीएस के संभावित और नए मामलों का पता चल सके। विभाग ने दावा किया है कि जीबीएस के मामले अन्य महीनों की तुलना में इस बार ज्यादा बढ़े हैं, जबकि सामान्यत: महीने में केवल दो से तीन मामले ही सामने आते हैं।

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