Gehlot का भाजपा पर हमला: विधूड़ी के बयान पर पार्टी की चुप्पी पर उठाए सवाल
राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता Gehlot ने भारतीय जनता पार्टी (भा.ज.पा.) के नेता रमेश विधूड़ी द्वारा प्रियंका गांधी पर की गई टिप्पणी की निंदा की है। Gehlot ने कहा कि अफसोस है कि इस विवादास्पद बयान के बाद भाजपा के किसी भी नेता ने प्रतिक्रिया नहीं दी, जबकि ऐसा बयान आने पर पार्टी को तुरंत अपने रुख को स्पष्ट करना चाहिए था। Gehlot ने इस बयान को न केवल घटिया बल्कि निंदनीय भी बताया और यह सवाल उठाया कि क्या इस तरह के बयान से देश का माहौल और भी खराब नहीं हो रहा है?
विधूड़ी के बयान की निंदा
Gehlot ने विधूड़ी के बयान को बेहद आपत्तिजनक और निम्न स्तर का बताया। उन्होंने कहा कि यह बयान देश की महिलाओं के सम्मान को ठेस पहुँचाने वाला है और इससे समाज में गलत संदेश जाता है। Gehlot ने कहा, “महिलाओं का सम्मान और मान-सम्मान सुनिश्चित करना हर नागरिक और राजनीतिक नेता की जिम्मेदारी है। लेकिन जब इस प्रकार के बयान सामने आते हैं तो यह स्पष्ट होता है कि कुछ लोग किस दिशा में देश को ले जाने की कोशिश कर रहे हैं।”
प्रियंका गांधी और अन्य महिला नेताओं के खिलाफ की गई इस टिप्पणी पर Gehlot ने गहरी नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि यह केवल प्रियंका गांधी के खिलाफ नहीं, बल्कि देश की हर महिला के खिलाफ एक अपमानजनक बयान था। उन्होंने भाजपा को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि अगर इस तरह के बयान पर भाजपा ने प्रतिक्रिया नहीं दी, तो यह पार्टी की असंवेदनशीलता और दोहरे मापदंड को दर्शाता है।
भाजपा की चुप्पी पर सवाल उठाना
Gehlot ने कहा कि यह बेहद दुखद है कि भाजपा ने विधूड़ी के बयान पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। उनका कहना था कि भाजपा को इस बयान के खिलाफ तत्काल अपनी प्रतिक्रिया देनी चाहिए थी, ताकि यह स्पष्ट हो सके कि वे ऐसे घटिया और महिला विरोधी बयान को स्वीकार नहीं करते। Gehlot ने यह भी कहा कि इस चुप्पी से यह सवाल खड़ा होता है कि क्या भाजपा अपने नेताओं की ऐसी टिप्पणियों को जायज मानती है।
उन्होंने कहा, “जब कोई नेता इस तरह की बयानबाजी करता है, तो यह पार्टी की जिम्मेदारी बनती है कि वह इस पर अपनी स्थिति स्पष्ट करे। अगर भाजपा ने इस पर चुप्पी साधी है, तो यह इस बात का संकेत है कि पार्टी ऐसे बयानबाजी को मान्यता देती है।”
Gehlot ने आगे कहा कि भाजपा की यह चुप्पी इस बात का प्रमाण है कि पार्टी अपने नेताओं के बयानों पर कोई नियंत्रण नहीं रखती, और इसका असर देश के राजनीतिक माहौल पर पड़ रहा है।
ध्रुवीकरण की राजनीति और देश की स्थिति
Gehlot ने देश में बढ़ते ध्रुवीकरण के मुद्दे पर भी चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि देश में ऐसे हालात बन गए हैं कि चुनावी फायदे के लिए नेताओं द्वारा समाज में विभाजन किया जा रहा है। Gehlot ने कहा, “राजनीतिक दलों को यह समझने की जरूरत है कि चुनाव तो जीते जा सकते हैं, लेकिन देश और प्रदेश की स्थिति का क्या होगा? जब लोग एक-दूसरे से नफरत करने लगेंगे, तो समाज में क्या माहौल बनेगा?”
उन्होंने कहा कि देश की राजनीति में नफरत और विभाजन की भावना का बढ़ना चिंता का विषय है। उन्होंने कहा, “यह तो तय है कि चुनावी जीत के लिए इस प्रकार की राजनीति का सहारा लिया जा सकता है, लेकिन इसके दीर्घकालिक परिणाम बेहद खतरनाक होंगे। अगर हम समाज में प्यार, भाईचारे और एकता की भावना को खत्म करेंगे, तो इसका असर भविष्य में समाज की स्थिरता पर पड़ेगा।”
नफरत की राजनीति पर Gehlot की चेतावनी
Gehlot ने भाजपा की नफरत और ध्रुवीकरण की राजनीति पर कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा कि समाज में सामूहिकता और शांति बनाए रखने की जिम्मेदारी नेताओं की होती है। उन्होंने कहा, “अगर राजनीति के जरिए ध्रुवीकरण की कोशिश की जाती है, तो इसका असर समाज की सूरत पर पड़ेगा। जब समाज में विभाजन हो, तो इसके परिणाम दुखद होते हैं।”
Gehlot ने यह भी कहा कि भाजपा की ओर से इस प्रकार की बयानबाजी और चुप्पी राजनीति में और भी खतरनाक मोड़ पर जा सकती है। उन्होंने चेतावनी दी कि ऐसे मामलों में अगर गंभीरता से ध्यान नहीं दिया गया, तो इसका परिणाम आने वाले समय में बहुत ही गंभीर हो सकता है।
भविष्य में राजनीति की दिशा
Gehlot ने यह भी कहा कि देश की राजनीति का भविष्य अब इस बात पर निर्भर करेगा कि राजनीतिक दल किस दिशा में आगे बढ़ते हैं। उन्होंने कहा कि अगर चुनाव जीतने के लिए इस प्रकार की नफरत की राजनीति जारी रही, तो समाज के भीतर असंतोष और अशांति का माहौल बनेगा, जो देश की प्रगति और विकास के लिए एक बड़ी बाधा साबित हो सकता है।
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