Israel–Hamas संघर्ष पर अरब और ईरानी मीडिया की प्रतिक्रिया

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Israel–Hamas संघर्ष पर अरब और ईरानी मीडिया की प्रतिक्रिया

15 जनवरी 2025 को क़तर ने घोषणा की कि Israel संघर्ष पर अरब और ईरानी मीडिया की प्रतिक्रिया और हमास के बीच एक अस्थायी युद्धविराम और बंधकों की अदला-बदली का समझौता हुआ है। इस समझौते को अमेरिका और क़तर के मध्यस्थता प्रयासों का परिणाम माना जा रहा है। यह समझौता 19 जनवरी 2025 से प्रभावी होगा और इसमें तीन प्रमुख चरणों की बात की गई है।

इस युद्धविराम को 15 महीने से जारी संघर्ष के बाद एक बड़ी सफलता माना जा रहा है। यह संघर्ष 7 अक्टूबर 2023 को हमास द्वारा Israel पर हमले के बाद शुरू हुआ था। इस समझौते के अंतर्गत दोनों पक्षों ने एक दूसरे के खिलाफ संघर्ष को विराम देने और बंधकों के आदान-प्रदान पर सहमति जताई है।


ईरान का दृष्टिकोण: हमास की जीत

ईरानी मीडिया में इस युद्धविराम समझौते को एक बड़ी राजनीतिक और सैन्य सफलता के रूप में प्रस्तुत किया गया है। सरकारी टेलीविज़न चैनल और समाचार पत्रों ने इसे Israel के लिए एक “सबसे बड़ी हार” के रूप में चित्रित किया। ईरान के सरकारी टेलीविज़न चैनल ने यह बताया कि Israel ने अपनी पूरी सैन्य ताकत इस संघर्ष में झोंक दी थी, लेकिन फिर भी हमास को हराने में नाकाम रहा।

इसके साथ ही, कई ईरानी विश्लेषकों ने इस समझौते को ईरान के नेतृत्व में स्थापित “रेज़िस्टेंस फ्रंट” की जीत के रूप में भी देखा है। ईरान ने हमेशा से ही फ़लस्तीनियों और हमास को समर्थन दिया है, और इस समझौते के बाद क्षेत्रीय जश्न की खबरें भी सामने आई हैं। ईरान के रेडियो और टेलीविजन चैनलों ने 16 जनवरी को बताया कि लेबनान, यमन, इराक़, तुर्की और अन्य देशों में इस समझौते को लेकर खुशियाँ मनाई जा रही हैं।


अरब देशों का नजरिया: ट्रंप का प्रभाव

वहीं, अरब देशों के मीडिया में इस युद्धविराम को लेकर एक अलग दृष्टिकोण देखने को मिला है। अरब प्रेस ने इस समझौते को अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दबाव और धमकियों का परिणाम माना है। हाल ही में ट्रंप ने यह चेतावनी दी थी कि अगर बंधकों की रिहाई नहीं की गई, तो इसके गंभीर परिणाम होंगे। इन धमकियों के चलते ही हमास ने युद्धविराम पर सहमति जताई, यह दावा अरब मीडिया में किया जा रहा है।

अरब दुनिया में इस बात को लेकर चर्चा हो रही है कि ट्रंप का अमेरिकी राष्ट्रपति बनना Israel के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है, और इससे मध्य-पूर्व में नई रणनीतियाँ अपनाई जा सकती हैं।


युद्धविराम के बाद के हालात और क्षेत्रीय प्रतिक्रिया

अरब और ईरानी मीडिया के अनुसार, इस समझौते के बाद Israel की स्थिति कमजोर हुई है। ईरान के सरकारी अख़बार “ईरान” ने इस युद्धविराम को Israel की रणनीतिक हार के रूप में देखा और लिखा कि यह “7 अक्टूबर के बाद के दौर की शुरुआत” को दिखाता है, जिसमें Israel अब पहले जैसा प्रभावशाली नहीं रहा।

ईरान के विश्लेषकों ने यह भी कहा कि इस संघर्ष के परिणामस्वरूप हमास ने अपनी राजनीतिक और सैन्य ताकत को साबित किया है, और अब मध्य-पूर्व में स्थितियाँ Israel के लिए और भी चुनौतीपूर्ण हो सकती हैं।

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