चूरू जिले के लूणासर गांव का वीर सपूत Bhanwarlal सारण जम्मू-कश्मीर के गुलमर्ग सेक्टर में ऑपरेशन के दौरान शहीद हो गए। 8 जून देर रात सिर में गोली लगने से वे गंभीर रूप से घायल हुए और इलाज के दौरान उन्होंने अंतिम सांस ली। बुधवार दोपहर जैसे ही उनका पार्थिव शरीर गांव पहुंचा, पूरे गांव में शोक की लहर दौड़ गई। “जब तक सूरज चांद रहेगा, Bhanwarlal सारण का नाम रहेगा” और “शहीद अमर रहें” के नारों से माहौल गूंज उठा।

आंखें नम, दिल भरा गर्व से; बेटी ने पुष्प अर्पित कर नम किया हर मन
शहीद के अंतिम दर्शन के लिए बड़ी संख्या में ग्रामीण और रिश्तेदार उमड़े। पत्नी तारामणी बेसुध हो गईं और परिजनों ने उन्हें संभालते हुए अंतिम दर्शन करवाए। शहीद की पांच वर्षीय बेटी रितिका ने पिता की पार्थिव देह पर पुष्प अर्पित किए, जिसे देखकर हर आंख नम हो गई। मोक्षधाम में सेना के जवानों ने गार्ड ऑफ ऑनर दिया और भाई मुकेश ने उन्हें मुखाग्नि दी। इस मौके पर लोगों ने गर्व और गम दोनों भावों के साथ अपने वीर को अंतिम विदाई दी।
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Bhanwarlal सारण 2015 में भारतीय सेना में भर्ती हुए थे और गुलमर्ग सेक्टर में तैनात थे। वे गांव और परिवार से हमेशा जुड़े रहे। उनकी शहादत की खबर पहले घायल होने की सूचना के रूप में परिवार तक पहुंची, लेकिन जैसे ही सच्चाई सामने आई, कोहराम मच गया। पिता उमाराम गहरी पीड़ा में हैं, जबकि भाई मुकेश सेना में भर्ती की तैयारी कर रहे हैं। शहीद की मासूम बेटी को आज भी यह नहीं मालूम कि उसके पिता अब सिर्फ यादों में रह गए हैं — जिन्होंने दो दिन पहले फोन पर कहा था: “बहुत पढ़ाई करना है, तुझे आर्मी अफसर बनना है…”
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