प्रयागराज Mahakumbh भगदड़: प्रशासन से कहां हुई चूक?

Mahakumbh

Mahakumbh Stampede: प्रयागराज Mahakumbh में भगदड़ के कारण और प्रशासन की चूक

प्रयागराज Mahakumbh में 2025 की मौनी अमावस्या के अवसर पर मची भगदड़ ने एक बार फिर प्रशासन की व्यवस्थाओं पर सवालिया निशान खड़ा कर दिया। इस हादसे में 30 श्रद्धालुओं की मौत हो गई, जबकि 90 से ज्यादा लोग गंभीर रूप से घायल हो गए। यह घटना उस समय हुई जब करोड़ों श्रद्धालु संगम में अमृत स्नान करने के लिए एकत्रित हुए थे। इतनी बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं की मौजूदगी के बावजूद प्रशासन की तैयारियां नाकाम क्यों हो गईं? क्या कारण थे जो इस हादसे के लिए जिम्मेदार थे? आइए जानते हैं।

1. संगम नोज की ओर भेजे गए श्रद्धालु:

प्रशासन ने Mahakumbh मेला क्षेत्र में भीड़ को नियंत्रित करने के लिए होल्डिंग एरिया बनाए थे, लेकिन प्रशासन ने इन होल्डिंग एरिया का सही तरीके से उपयोग नहीं किया। श्रद्धालु रात आठ बजे के बाद संगम नोज की ओर भेजे गए, जबकि पहले से तय था कि श्रद्धालुओं को रात में स्नान की अनुमति नहीं होगी। जब भारी संख्या में श्रद्धालु संगम की ओर भेजे गए, तो संगम नोज पर भीड़ जमा हो गई और भगदड़ की स्थिति पैदा हो गई। यह प्रशासन की चूक थी कि वे समय से पहले ही व्यवस्थाएं सुनिश्चित नहीं कर सके।

2. प्रशासन का वन-वे प्लान नहीं किया काम:

Mahakumbh के दौरान प्रशासन ने श्रद्धालुओं के लिए वन-वे प्लान तैयार किया था। इसके तहत श्रद्धालु एक निश्चित रास्ते से संगम तक पहुंचेंगे और फिर दूसरे रास्ते से बाहर निकलेंगे। हालांकि, इस योजना का पालन पूरी तरह से नहीं किया गया। लोग संगम अपर मार्ग से ही आते रहे, जबकि अक्षयवट रास्ता खाली रहा। एक ही रास्ते से आने-जाने की वजह से भीड़ अत्यधिक बढ़ गई और भगदड़ जैसी स्थिति उत्पन्न हो गई।

3. पांटून पुलों का बंद रखना:

Mahakumbh के आयोजन के दौरान प्रशासन ने श्रद्धालुओं के लिए 30 पांटून पुलों का इंतजाम किया था, लेकिन इनमें से कई पुल बंद रखे गए। इसके कारण झूंसी से आने वाले श्रद्धालुओं को भारी पैदल यात्रा करनी पड़ी। बुजुर्ग और महिला तीर्थयात्री थककर संगम नोज पर रुक गए, और यहां भीड़ जमा हो गई। प्रशासन का यह निर्णय कि पांटून पुलों को बंद रखा जाए, हादसे का एक बड़ा कारण साबित हुआ।

4. प्रमुख रास्तों पर बैरिकेडिंग से बिगड़े हालात:

प्रशासन ने कई प्रमुख रास्तों को चौड़ा किया था, लेकिन कुछ रास्तों को बंद रखा और बैरिकेडिंग भी कर दी। इसका परिणाम यह हुआ कि श्रद्धालु परेशान होकर बैठ गए और जल्दी नहीं उठे। यही वजह थी कि संगम के किनारे पर भीड़ जमा हो गई और हालात बिगड़ने लगे। अगर रास्तों को खुला रखा जाता, तो श्रद्धालु जल्द ही अपने गंतव्य तक पहुंच सकते थे, और भगदड़ की स्थिति नहीं बनती।

5. सुरक्षाबलों का कैंप बहुत दूर था:

Mahakumbh के सेक्टर-10 में सीआईएसएफ का एक कैंप था, लेकिन अन्य सेक्टरों में सुरक्षाबलों की तैनाती नहीं थी। जब भगदड़ मची, तो सुरक्षाबल को बुलाने में बहुत समय लगा। सेक्टर-3 तक पहुंचने में उन्हें काफी देर हो गई, जिससे स्थिति और बिगड़ गई। यदि प्रशासन ने हर सेक्टर में सुरक्षाबलों के कैंप लगाए होते, तो स्थिति को समय रहते नियंत्रित किया जा सकता था।

6. श्रद्धालुओं को रात 8 बजे से भेजना:

इस दुर्घटना की एक प्रमुख वजह यह भी थी कि प्रशासन ने श्रद्धालुओं को रात 8 बजे से संगम नोज की ओर भेजना शुरू कर दिया। जबकि, श्रद्धालु पहले ही रातभर संगम के पास सो रहे थे, जिससे जगह की कमी हो गई। यदि प्रशासन ने पहले से ही संगम के आसपास व्यवस्था बनाई होती, तो श्रद्धालुओं को जल्दी न भेजा जाता और इस तरह की भगदड़ की स्थिति पैदा नहीं होती।

मेला अधिकारी और DIG की टिप्पणी:

Mahakumbh मेला अधिकारी विजय किरन आनंद और DIG Mahakumbh वैभव कृष्ण ने बताया कि रात 1 बजे से 2 बजे के बीच श्रद्धालुओं की भीड़ संगम नोज की ओर बढ़ने लगी थी। कुछ श्रद्धालुओं ने बैरिकेडिंग तोड़ दी और जमीन पर सो गए। जब ऊपर से अन्य श्रद्धालु पहुंचे, तो वे नीचे सो रहे श्रद्धालुओं पर चढ़ गए, जिससे कुचलने की घटनाएं हुईं। प्रशासन ने तुरंत ग्रीन कॉरिडोर बनाया और एंबुलेंस के माध्यम से घायलों को अस्पताल भेजा, लेकिन दुर्भाग्यवश 30 लोगों की जान चली गई।

प्रशासन द्वारा किए गए बदलाव:

इस हादसे के बाद प्रशासन ने कई अहम बदलाव किए हैं। इनमें मेला क्षेत्र को नो व्हीकल जोन घोषित करना, वीवीआईपी पास को रद्द करना, वन-वे रूट को सख्ती से लागू करना, और पड़ोसी जिलों से आने वाले वाहनों को बॉर्डर पर ही रोकना शामिल हैं। प्रशासन ने यह भी सुनिश्चित किया है कि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हो, इसके लिए और सख्त सुरक्षा उपाय लागू किए जाएं।

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