मकर संक्रांति और Mahakumbh का पहला अमृत स्नान: जानें इस महापर्व की महत्ता और विशेषताएं
Mahakumbh: मकर संक्रांति हिन्दू धर्म का एक महत्वपूर्ण पर्व है, जिसे सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने के अवसर पर मनाया जाता है। यह पर्व हर साल 14 जनवरी को मनाया जाता है, और इस बार यह पर्व विशेष रूप से महत्व रखता है क्योंकि इस दिन विष्कुंभ योग और पुनर्वसु नक्षत्र का संयोग बन रहा है, जो बहुत शुभ माना जाता है। साथ ही, मकर संक्रांति के साथ खरमास का समापन भी हो रहा है, जिससे मांगलिक कार्यों की शुरुआत हो जाएगी।
Mahakumbh का शुभारंभ
मकर संक्रांति के साथ ही इस बार Mahakumbh का भी शुभारंभ हो रहा है, जो इस पर्व की महत्ता को और बढ़ा देता है। Mahakumbh एक धार्मिक मेला होता है, जिसमें करोड़ों श्रद्धालु पवित्र नदियों में स्नान करने के लिए एकत्र होते हैं। इस पर्व के दौरान लोग अपने पापों से मुक्ति पाने और पुण्य अर्जित करने के लिए संगम या अन्य पवित्र स्थलों पर स्नान करते हैं। इस बार Mahakumbh के पहले अमृत स्नान के अवसर पर मकर संक्रांति का मिलाजुला प्रभाव विशेष रूप से धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
मकर संक्रांति पर विशेष योग और नक्षत्र
इस बार मकर संक्रांति पर विष्कुंभ योग और पुनर्वसु नक्षत्र का संयोग बन रहा है, जो भारतीय ज्योतिष के अनुसार बेहद शुभ है। विष्कुंभ योग का प्रभाव यह होता है कि इस दौरान किए गए कार्यों का फल सकारात्मक और सुखद रहता है। पुनर्वसु नक्षत्र का प्रभाव श्रद्धालुओं को मानसिक शांति और समृद्धि की ओर अग्रसर करता है। इस दिन का महत्व इसीलिए और बढ़ जाता है क्योंकि यह योग व्यक्ति के जीवन में अच्छे परिवर्तन ला सकता है।
पुण्यकाल और दान का महत्व
मकर संक्रांति के दिन पुण्यकाल का विशेष महत्व है। इस दिन सूर्योदय के बाद से लेकर सूर्यास्त तक का समय पुण्यकाल होता है। इस दौरान लोग विशेष रूप से पवित्र नदियों में स्नान करते हैं, सूर्य उपासना करते हैं और विभिन्न प्रकार के धार्मिक अनुष्ठान करते हैं। इस अवसर पर तिल, गुड़, खिचड़ी जैसी सामग्रियों का दान भी किया जाता है, जो घर में सुख-समृद्धि और खुशहाली लाने के लिए उत्तम माने जाते हैं।
सूर्य और शनि का दोष निवारण
अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में सूर्य और शनि का दोष है, तो मकर संक्रांति का दिन विशेष रूप से लाभकारी होता है। इस दिन सूर्य उपासना करने से सूर्य और शनि के दोष दूर होते हैं, जिससे व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन होते हैं। इसके अलावा काले तिल का दान भी विशेष रूप से शुभ माना जाता है, जिससे ग्रहों के दोष समाप्त हो सकते हैं और जीवन में सुख-समृद्धि का आगमन होता है।
मकर संक्रांति और धार्मिक अनुष्ठान
मकर संक्रांति के दिन धार्मिक अनुष्ठान और पूजा का महत्व अत्यधिक है। इस दिन सूर्य देव की पूजा की जाती है और उन्हें तिल, गुड़, खिचड़ी जैसी चीजें अर्पित की जाती हैं। इसके साथ ही ब्राह्मणों और जरूरतमंदों को भी दान देने की परंपरा है। यह माना जाता है कि इस दिन किए गए अच्छे कार्यों का पुण्य जीवनभर मिलता है।
मकर संक्रांति और Mahakumbh का संगम
इस बार मकर संक्रांति और Mahakumbh का मिलाजुला महत्व श्रद्धालुओं के लिए अनूठा अनुभव लेकर आया है। Mahakumbh के दौरान लाखों लोग पवित्र नदियों में स्नान करने आते हैं और मकर संक्रांति के दिन विशेष रूप से इस स्नान का महत्व बढ़ जाता है। Mahakumbh के पहले अमृत स्नान के दिन लाखों लोग गंगा, यमुना, और अन्य पवित्र नदियों में स्नान करते हैं, जिससे उनकी आत्मा को शुद्धि मिलती है और उनके पाप धुल जाते हैं।
मकर संक्रांति के दिन की विशेषताएं
मकर संक्रांति का दिन विशेष रूप से ताजगी, उत्साह और नई शुरुआत का प्रतीक माना जाता है। इस दिन लोग अपने घरों की सफाई करते हैं, नए वस्त्र पहनते हैं और अपने परिवार के साथ खुशी मनाते हैं। यह दिन विशेष रूप से कृषि समुदाय के लिए महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि इस दिन से सूर्य की गति उत्तरायण की ओर बढ़ जाती है, जिससे दिन लंबा होता है और किसानों को फसल के अच्छे होने की उम्मीद होती है।
Read More: HMPV वायरस: इंडिया में फैल रहा नया खतरनाक संक्रमण, सरकार ने जारी किया अलर्ट