Jaipur का रहस्यमयी Kalakya Mata Temple: जहां Leopard भी श्रद्धा से आते हैं दर्शन करने!

admin
By admin
4 Min Read

स्थान(Situated): झालाना लेपर्ड सफारी, जयपुर (Jhalana Leopard Safari forest Jaipur)

जयपुर(Jaipur) की पहाड़ियों में बसा एक ऐसा मंदिर(Temple), जहां भक्त ही नहीं तेंदुए(Leopard) भी श्रद्धा से माथा टेकने आते हैं!

राजस्थान(Rajasthan) की राजधानी जयपुर(Jaipur) अपने किलों, महलों और संस्कृति के लिए विश्व प्रसिद्ध है, लेकिन यहां का कालक्या माता मंदिर(Kalakya Mata Temple) एक ऐसा रहस्यमयी स्थल है, जो जितना पौराणिक है उतना ही रोमांचक भी। झालाना(Jhalana) के घने जंगलों और पहाड़ियों के बीच बसा यह मंदिर न सिर्फ श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है, बल्कि यहां तेंदुए (Leopards) भी दर्शन करने आते हैं। हैरानी की बात यह है कि आज तक किसी भी तेंदुए ने मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया।

1071 साल पुराना मंदिर, जहां विराजित हैं दो अद्भुत रूपों वाली काली माता(Kali Mata):

इस मंदिर की स्थापना लगभग 1071 साल पहले हुई मानी जाती है। यहां मां काली दो रूपों में विराजमान हैं – एक रूप में वे शस्त्रधारी रुद्र रूप में हैं और दूसरे में करुणामयी देवी के रूप में। यहां इन्हें बिंदयाका देवी(Bindayaka Devi) भी कहा जाता है। विशेष बात यह है कि देवी के दोनों रूपों के चेहरे पर हमेशा सिंदूर चढ़ा होता है, जिससे उनके शस्त्रों के दर्शन नहीं होते।

चोरी, बावड़ी और किवंदती – माता ने खुद को छुपा लिया!

स्थानीय मान्यता के अनुसार, एक समय मंदिर में तीन मूर्तियां थीं। एक रात कुछ डकैत माता की सोने की मूर्ति चुराने आए। तभी माता ने खुद को मंदिर में बनी एक प्राचीन बावड़ी (जलकुंड) में समा लिया। अगले दिन पुजारी को बावड़ी से माता की आवाज़ सुनाई दी – “डकैत मुझे चुराने आए थे, इसलिए मैं यहां छुप गई हूं। मेरी दो बहनों की मूर्तियां खेजड़ी के पेड़ों के नीचे हैं।” इसके बाद दोनों मूर्तियों को मंदिर में पुनः स्थापित किया गया।

जहां तेंदुए(Leopards) करते हैं दर्शन, लेकिन कोई डर नहीं!

इस मंदिर की सबसे अनोखी बात यह है कि यहां आसपास रहने वाले तेंदुए(Leopards) भी अक्सर देखे जाते हैं। वे जंगल से निकलकर मंदिर के पास तक आते हैं – कई बार मंदिर के अंदर तक! फिर भी, आज तक किसी भी इंसान को नुकसान नहीं हुआ। स्थानीय लोग मानते हैं कि यह माता की कृपा है।

राजस्थानी वास्तुकला(Rajasthani architecture) का अद्वितीय नमूना:

मंदिर की वास्तुकला, नक्काशी और चित्रकारी राजस्थानी शैली का जीता-जागता उदाहरण है। घुमावदार रास्तों से होते हुए जब भक्त मंदिर पहुंचते हैं, तो यहां की शांति, प्रकृति और आध्यात्मिक ऊर्जा उन्हें मंत्रमुग्ध कर देती है।

विशेष परंपरा: दो बहनों का जोड़ा यहां जरूर आता है:

मान्यता है कि यहां दर्शन करने का विशेष फल दो बहनों के एक साथ आने पर मिलता है। इसलिए हर साल नवरात्रि और अन्य पर्वों पर दो बहनों का जोड़ा माता के दरबार में दर्शन करने विशेष रूप से आता है।

Read More: International Yoga Day 21 जून को क्यों? जानिए

Share This Article
Leave a Comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *