अलवर में आबादी क्षेत्र में आए Panther को रेस्क्यू कर सरिस्का जंगल में छोड़ा गया
राजस्थान के अलवर शहर में मंगलवार को एक Panther को शहर के आबादी क्षेत्र में घुसने के बाद कड़ी मशक्कत से रेस्क्यू किया गया। Panther को रेस्क्यू करने के लिए लगभग 100 पुलिसकर्मियों की टीम तैनात की गई और तीन थानों की पुलिस भी कंपनी बाग क्षेत्र में पहुंची। Panther को सुरक्षित तरीके से पकड़ने के बाद उसे सरिस्का के घने जंगल में छोड़ दिया गया। इस घटना ने अलवर के नागरिकों को कुछ समय के लिए घबराहट में डाल दिया था, लेकिन वन विभाग और पुलिस की तत्परता ने स्थिति को जल्दी नियंत्रण में ले लिया।
Panther का शहर में घुसना और रेस्क्यू की शुरुआत
Panther की मौजूदगी का पता तब चला जब सुबह के समय यह अलवर शहर के खदाना मोहल्ले में देखा गया। पैंथर ने पहले खदाना मोहल्ले के आसपास एक खाली भूखंड में कुछ समय बिताया, फिर स्थानीय लोगों के शोर मचाने के बाद यह हनुमान बगीची की झाड़ियों में चला गया। यह जगह अलवर शहर के व्यस्ततम क्षेत्रों में से एक है, और जैसे ही पैंथर वहां पहुंचा, लोग घबराकर शोर मचाने लगे। इससे पैंथर डरकर और अधिक व्यस्त इलाके कंपनी बाग में आ गया।
Panther के इस कदम ने अधिकारियों को तुरंत कार्रवाई करने के लिए मजबूर कर दिया। वन विभाग और पुलिस की टीमों ने पूरी तरह से कंपनी बाग और आसपास के क्षेत्रों को घेर लिया, और फिर उसे पकड़ने के लिए योजना बनाई। यह सुनिश्चित किया गया कि कंपनी बाग में कोई और लोग न हों और बच्चों को बाहर निकाला गया, ताकि पैंथर को पकड़ने में कोई बाधा न हो।
रेस्क्यू ऑपरेशन: पुलिस और वन विभाग की साझा कोशिश
रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान पुलिस और वन विभाग की टीमों को बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ा। Panther की हरकतों को देखते हुए, उसे पकड़ने के लिए पूरी कोशिश की गई। इस ऑपरेशन में सबसे बड़ी राहत की बात यह रही कि केवल आधे घंटे के भीतर ही पैंथर को पकड़ने में सफलता मिल गई। डॉक्टर दीनदयाल मीणा के नेतृत्व में वन विभाग की टीम ने पैंथर को घेर लिया और फिर उसे ट्रेंकुलाइज किया। जैसे ही पैंथर पूरी तरह से ट्रेंकुलाइज हो गया, उसे पिंजरे में सुरक्षित तरीके से बंद कर लिया गया।
Panther की पहचान और सरिस्का जंगल में पुनः वापसी
यह Panther, जो पहले राजर्षि कॉलेज के पास देखा गया था, की पहचान लगभग पक्की मानी जा रही है। क्षेत्रीय वन निदेशक संग्राम सिंह कटियार ने बताया कि पैंथर की पहचान के लिए कैमरा ट्रैप का उपयोग किया जाएगा। हालांकि, 99 प्रतिशत संभावना यह है कि यह वही पैंथर है, जो राजर्षि कॉलेज के आसपास देखा गया था। पैंथर की उम्र लगभग 5 साल के करीब मानी जा रही है, और यह पैंथर उसी आकार का है।
संग्राम सिंह कटियार ने बताया कि Panther को अब सरिस्का के जंगल में छोड़ा जाएगा, जो लगभग 50 किलोमीटर दूर स्थित है। यह कदम इस लिए उठाया गया है ताकि पैंथर फिर से आबादी क्षेत्र में न आ जाए और उसकी सुरक्षा भी सुनिश्चित की जा सके।
Panther का आदतें और जंगल से बाहर आना
जिला वन संरक्षक राजेंद्र हुड्डा ने बताया कि यह Panther संभवतः राजर्षि कॉलेज के जंगल से बाहर निकलकर घनी आबादी में घुस आया था। पैंथर के जंगल से बाहर आने की संभावनाएं इस कारण हैं क्योंकि वह कभी भी जंगल से बाहर आकर मानव बस्ती के आसपास रह सकता है। इस प्रकार की घटनाओं से वन विभाग को यह सुनिश्चित करना होता है कि पैंथर को जल्द से जल्द जंगल में वापस भेजा जाए, जहां उसकी प्राकृतिक आदतें बनी रहें और वह मानव बस्तियों से दूर रहे।
रेस्क्यू टीम की मेहनत और साहसिक कार्य
इस रेस्क्यू ऑपरेशन में वन विभाग की टीम, पुलिस और स्थानीय प्रशासन ने अपनी पूरी ताकत लगा दी। अधिकारियों ने बताया कि पैंथर के रेस्क्यू के दौरान उनका पूरा ध्यान उसकी सुरक्षा पर था। इसके लिए कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई और पैंथर को ट्रेंकुलाइज करने के बाद पूरी टीम ने उसे पिंजरे में सुरक्षित रखा।
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