PM Modi ने किया सरेंडर’: कांग्रेस का बड़ा दावा

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भारतीय राजनीति में एक बार फिर बहस का केन्द्र बने हैं PM Modi—इस बार कांग्रेस के तीखे आरोपों के कारण। कांग्रेस ने सीधा आरोप लगाया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के सामरिक, आर्थिक और लोकतांत्रिक हितों के सामने आत्मसमर्पण कर दिया है। आरोप यह भी है कि वे अमेरिका और चीन जैसे देशों के सामने ही नहीं, बल्कि देश के भीतर गौतम अडानी जैसे उद्योगपतियों के समक्ष भी पूरी तरह झुक चुके हैं।

गुरुवार को कांग्रेस के वरिष्ठ नेता डॉ. अजय कुमार ने नई दिल्ली स्थित पार्टी मुख्यालय में संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कई गंभीर बातें कहीं, जो सरकार की नीतियों और प्रधानमंत्री PM Modi के निर्णयों पर सवाल खड़े करती हैं।

अडानी को फायदा पहुंचाने का आरोप

डॉ. कुमार ने कहा कि वर्ष 2018 में केंद्र सरकार ने छह प्रमुख हवाई अड्डों के निजीकरण के लिए टेंडर आमंत्रित किए थे। खास बात यह थी कि इन टेंडरों में यह स्पष्ट कर दिया गया कि एयरपोर्ट संचालन के पूर्व अनुभव की कोई आवश्यकता नहीं होगी। कांग्रेस का आरोप है कि यह शर्त अडानी ग्रुप को ही फायदा पहुंचाने के लिए डाली गई थी। इसके बाद अहमदाबाद, जयपुर, लखनऊ, गुवाहाटी, मंगलुरु और तिरुवनंतपुरम जैसे बड़े हवाई अड्डे अडानी को सौंप दिए गए।

डॉ. अजय कुमार ने कहा, “क्या यह देशहित में है कि एक ही कॉर्पोरेट समूह को इतनी बड़ी संख्या में एयरपोर्ट्स सौंप दिए जाएं, वह भी बिना अनुभव के? क्या यह सार्वजनिक संपत्तियों का निजीकरण है या कॉर्पोरेट लाभ का सरकारी एजेंडा?”

मुंबई एयरपोर्ट का मामला

उन्होंने कहा कि मुंबई एयरपोर्ट का मामला भी बेहद संदिग्ध है। जीवीके ग्रुप, जो इसे चला रहा था, उस पर कथित सरकारी दबाव और ईडी-सीबीआई की कार्रवाई के बाद यह हवाई अड्डा भी अडानी को सौंप दिया गया। कांग्रेस के अनुसार, यह एक प्रकार की “कॉर्पोरेट जबरदस्ती” थी जिसमें केंद्र सरकार की संस्थाएं एक उद्योगपति के पक्ष में सक्रिय रूप से काम कर रही थीं।

बैंकिंग व्यवस्था को बताया ‘प्राइवेट बैंकिंग मॉडल’

कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया कि आज सरकारी बैंक अडानी के निजी प्रोजेक्ट्स के लिए ‘ATM मशीन’ बन चुके हैं। PM Modi की सरकार में बैंकों की प्राथमिकता अब किसानों या मध्यम वर्ग को कर्ज देना नहीं रही, बल्कि कॉर्पोरेट्स को बड़े-बड़े लोन देना है।

डॉ. कुमार ने कहा कि अडानी पर विभिन्न बैंकों का कुल एक्सपोजर 40,000 करोड़ रुपये से भी अधिक है। इसके बावजूद बैंक ऑफ बड़ौदा और पंजाब नेशनल बैंक जैसे संस्थान अडानी की PVC परियोजना के लिए लोन देने की तैयारी में हैं। यह तब हो रहा है जब देश का आम आदमी बैंक लोन के लिए चक्कर काटता है।

विदेशों में बदनामी, देश में चुप्पी

कांग्रेस ने एक बड़ा खुलासा करते हुए कहा कि केन्या सरकार ने हाल ही में अडानी ग्रुप का एक महत्वपूर्ण कॉन्ट्रैक्ट रद्द कर दिया और उन्हें गिरफ्तार करने की तैयारी कर रही थी। यह खबर विदेशी मीडिया में प्रमुखता से छपी, लेकिन भारत की मीडिया में कहीं इसका जिक्र तक नहीं हुआ।

कांग्रेस का सवाल है कि जब विदेशों में अडानी के खिलाफ इतनी गंभीर कार्रवाइयाँ हो रही हैं, तब भारत में मीडिया चुप क्यों है? क्या यह “मित्र मीडिया” का प्रमाण नहीं है?

चीन का मुद्दा: चुप क्यों हैं PM Modi?

डॉ. अजय कुमार ने प्रधानमंत्री PM Modi पर एक और गंभीर आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि चीन की आक्रामकता के बावजूद प्रधानमंत्री ने कभी उसका नाम तक नहीं लिया। उन्होंने कहा, “डोकलाम से लेकर गलवान तक चीन ने भारत की सीमा का अतिक्रमण किया। बावजूद इसके प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को यह बताने से परहेज किया कि सीमा पर क्या चल रहा है।”

उन्होंने आगे कहा कि चीन ब्रह्मपुत्र नदी पर दुनिया का सबसे बड़ा बांध बना रहा है, जो भारत के पूर्वोत्तर राज्यों की पारिस्थितिकी को बुरी तरह प्रभावित करेगा। लेकिन केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री PM Modi ने अब तक इस मुद्दे पर कोई ठोस प्रतिक्रिया नहीं दी है।

कांग्रेस का सीधा सवाल

कांग्रेस का सीधा सवाल यह है: “क्या प्रधानमंत्री भारत के प्रधानमंत्री हैं या किसी कॉर्पोरेट घराने के प्रतिनिधि?” डॉ. कुमार ने कहा कि जिस तरह से देश की नीतियाँ बन रही हैं, उनसे लगता है कि PM Modi की प्राथमिकता देश नहीं बल्कि कुछ चुनिंदा लोग हैं।

कांग्रेस नेता ने प्रधानमंत्री पर यह भी आरोप लगाया कि वे प्रेस कॉन्फ्रेंस करने से बचते हैं और किसी भी तीखे सवाल का जवाब नहीं देते। उन्होंने कहा, “PM Modi 10 साल से पत्रकारों के सामने नहीं आए। क्या यह लोकतंत्र है?”

मीडिया की भूमिका पर भी सवाल

डॉ. कुमार ने भारतीय मीडिया की भूमिका पर भी तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि आज जब लोकतंत्र के स्तंभों पर हमला हो रहा है, तब मीडिया चुप क्यों है? क्या यह लोकतंत्र के लिए खतरनाक नहीं है?

उन्होंने आगे कहा कि आज जब सवाल पूछना गुनाह बन चुका है और जब भी सरकार से जवाब मांगा जाता है, तो उसे राष्ट्रविरोधी कहा जाता है। यह प्रवृत्ति न केवल लोकतंत्र को कमजोर करती है, बल्कि देश के भविष्य के लिए भी खतरा बनती जा रही है।

निष्कर्ष

इस पूरे घटनाक्रम में कांग्रेस का मुख्य आरोप यह है कि प्रधानमंत्री PM Modi देश के लोकतांत्रिक मूल्यों से भटक चुके हैं। उनके शासन में कॉर्पोरेट और सत्ता के रिश्ते इतने गहरे हो गए हैं कि आम जनता और उसकी समस्याएं कहीं पीछे छूट गई हैं।

कांग्रेस की यह आक्रामकता निश्चित तौर पर आने वाले चुनावों की रणनीति का हिस्सा हो सकती है, लेकिन इसमें उठाए गए सवालों को नज़रअंदाज़ करना भी मुश्किल है। क्या प्रधानमंत्री PM Modi इन सवालों का कोई जवाब देंगे, या यह मुद्दे राजनीतिक बयानबाजी तक ही सीमित रहेंगे—यह देखने वाली बात होगी।

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