केजरीवाल के बंगले के सौंदर्यीकरण पर खर्च हुए 75 से 80 करोड़ रुपये: Sachdeva

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Sachdeva का केजरीवाल पर बड़ा आरोप: सरकारी आवास के सौंदर्यीकरण पर खर्च हुए 75-80 करोड़ रुपये

भारतीय जनता पार्टी (भा.ज.पा.) के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र Sachdeva ने सोमवार को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के सरकारी आवास के सौंदर्यीकरण को लेकर उन पर तीखा हमला किया। Sachdeva का कहना था कि इस परियोजना में 75 से 80 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं। उनका यह बयान पूर्व मुख्यमंत्री के सरकारी आवास के सौंदर्यीकरण के संदर्भ में सामने आया, जिसे उन्होंने बेशर्मी से आपातकालीन आवश्यकता घोषित किया था। Sachdeva ने इस मुद्दे पर गहरी चिंता जताई और इसे सार्वजनिक रूप से उजागर किया।

Sachdeva ने खुलासा किया, कैग रिपोर्ट से हुआ बड़ा खुलासा

Sachdeva ने कहा कि नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (कैग) की रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि केजरीवाल ने अपने सरकारी आवास के सौंदर्यीकरण की परियोजना को आपातकालीन स्थिति में बदल दिया था। उन्होंने बताया कि कैग की रिपोर्ट में यह खुलासा किया गया कि मुख्यमंत्री के आवास के सौंदर्यीकरण की शुरुआती लागत 7.91 करोड़ रुपये थी, लेकिन बाद में इसे बढ़ाकर 33.66 करोड़ रुपये कर दिया गया। इस दावे से यह स्पष्ट होता है कि सौंदर्यीकरण परियोजना में अत्यधिक अनियमितता और बढ़ी हुई लागत का मामला सामने आया है।

बंगले के सौंदर्यीकरण पर खर्च की बढ़ती लागत

Sachdeva ने आगे बताया कि 7.91 करोड़ रुपये का शुरुआती अनुमान बढ़कर 9.34 करोड़ रुपये हो गया और बाद में यह 33.66 करोड़ रुपये तक पहुंच गया। यह सब बिना किसी स्पष्ट औचित्य और पारदर्शिता के हुआ। उनका कहना था कि कैग की रिपोर्ट में कई विसंगतियों का उल्लेख किया गया है, जैसे कि परियोजना की लागत में बढ़ोतरी, परियोजना सलाहकारों की नियुक्ति, और कार्य आदेशों में हुए बदलाव। उन्होंने दावा किया कि यह सभी निर्णय बिना किसी न्यायसंगत कारण के किए गए थे, जिससे यह साबित होता है कि इस प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी रही है।

आपातकालीन स्थिति में सौंदर्यीकरण परियोजना

भा.ज.पा. दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष Sachdeva ने अरविंद केजरीवाल पर गंभीर आरोप लगाया है, जिसमें उन्होंने कहा कि कोविड-19 महामारी के दौरान जब देश की अर्थव्यवस्था ठप हो गई थी और लाखों लोग रोजगार से वंचित थे, तब मुख्यमंत्री के सरकारी आवास का सौंदर्यीकरण ‘आपातकालीन’ परियोजना के रूप में घोषित किया गया।

Sachdeva ने इस कदम को बेहद गैर जिम्मेदाराना और अनुचित बताया, खासकर उस समय जब सरकार को महामारी के नकारात्मक प्रभावों से निपटने के लिए प्राथमिकताएँ तय करनी चाहिए थीं। उन्होंने कहा कि यह कदम सरकार की न केवल असंवेदनशीलता को दर्शाता है, बल्कि महामारी के दौरान जनता की जरूरतों की अनदेखी भी करता है। Sachdeva ने इसे सरकारी धन के गलत उपयोग के रूप में भी देखा और इस मामले की जांच की मांग की।

नियमों और विनियमों की अवहेलना

Sachdeva ने यह भी आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री के आवास के सौंदर्यीकरण में नियमों और विनियमों का उल्लंघन किया गया। उन्होंने कहा कि 29 जून, 2022 को बिना किसी उचित कारण के सजावटी कार्यों के लिए कार्य आदेश जारी किया गया। इसके बाद, 33.66 करोड़ रुपये की लागत बढ़ गई और ये सभी कार्य बिना किसी वैध अनुमोदन के संपन्न किए गए।

सत्य का पर्दाफाश करने की मांग

Sachdeva ने कहा कि कैग की रिपोर्ट के बाद यह स्पष्ट है कि मुख्यमंत्री के आवास की वास्तविक लागत का सही आंकड़ा अभी तक सामने नहीं आया है। उन्होंने कहा कि इस स्थिति का पर्दाफाश करने के लिए सभी संबंधित विभागों के खातों की जांच आवश्यक है। इसके जरिए यह समझा जा सकेगा कि किस प्रकार के अवैध खर्चे हुए हैं और किस उद्देश्य से इस तरह की अत्यधिक राशि का उपयोग किया गया।

अवैध निर्माण और योजनाओं की मंजूरी की चिंता

Sachdeva ने यह भी कहा कि कैग की रिपोर्ट में दिल्ली नगर निगम (डीएमसी) और दिल्ली शहरी कला आयोग (डीयूएसी) की मंजूरी के बिना मुख्यमंत्री के आवास में हुए निर्माण कार्यों पर भी चिंता जताई गई है। उन्होंने कहा कि यह स्पष्ट है कि परियोजना के विभिन्न चरणों में कई नियमों का उल्लंघन किया गया है, जिससे यह एक अवैध कार्य बन गया है।

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