जयपुर: गुरुवार रात जयपुर की सड़कों पर एक अलग ही नज़ारा देखने को मिला। हाथों में मशालें, आँखों में गुस्सा और दिल में न्याय की उम्मीद लिए नरेश मीणा के समर्थक सड़कों पर उतरे और सरकार से सवाल दागे कि आखिर बच्चों की मौत का जिम्मेदार कौन है और कब मिलेगा मासूमों के परिजनों को इंसाफ।
जुलूस त्रिवेणी नगर चौराहे से लेकर गुर्जर की थड़ी तक फैला और हर जगह “इंसाफ चाहिए” की आवाज़ें गूंजीं। यह जुलूस किसी राजनीतिक ताकत का प्रदर्शन नहीं, बल्कि मासूमों के लिए न्याय की लड़ाई थी।
दरअसल, जालावाड़ के पीपलोदी स्कूल हादसे में कई बच्चों की मौत हुई थी। इस दर्द को आवाज़ देने के लिए नरेश मीणा पिछले 14 दिन से आमरण अनशन पर बैठे थे। हालात बिगड़ने के बाद उन्हें जयपुर के SMS अस्पताल में भर्ती कराया गया। बावजूद इसके, आंदोलन की आग ठंडी नहीं हुई और उनके बेटे अनिरुद्ध मीणा, पूर्व मंत्री राजेंद्र गुढ़ा और सर्व समाज के लोग उनके समर्थन में सड़कों पर उतरे।
समर्थकों का कहना है कि यह हादसा सिस्टम की लापरवाही का नतीजा है। उन्होंने मांग की है कि:
- पीड़ित परिवारों को 50 लाख मुआवजा दिया जाए।
- दोषियों को सख्त सज़ा मिले।
- प्रदेश के सभी स्कूलों की इमारतों और सुरक्षा मानकों की जांच की जाए।
नारेबाज़ी और मशालों की रौशनी में यह जुलूस साफ कह रहा था कि – “इंसाफ से कम कुछ नहीं चाहिए।”
अब बड़ा सवाल यह है कि क्या सरकार मासूम बच्चों के परिवारों को न्याय दिलाने के लिए आगे आएगी या ये आवाज़ें सड़कों पर गूंजती ही रहेंगी।