सिख गुरुओं का गौरवशाली इतिहास और उनकी प्रेरणा: मुख्यमंत्री Yogi Adityanath
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री Yogi Adityanath ने सोमवार को सिख गुरुओं के गौरवशाली इतिहास को याद करते हुए कहा कि यह इतिहास न केवल धर्म की रक्षा की प्रेरणा देता है, बल्कि समग्र समाज के लिए प्रेरणास्त्रोत बनकर उभरा है। Yogi Adityanath ने गुरु गोबिंद सिंह जी के प्रकाश पर्व के अवसर पर अपने विचार साझा करते हुए सिख गुरुओं के शहादत, बलिदान और उनकी शिक्षाओं को सराहा। उन्होंने कहा कि सिख गुरुओं का योगदान भारतीय संस्कृति और समाज के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण है, और उनके द्वारा दिया गया संदेश आज भी पूरे देश के लिए प्रेरणादायक है।
गुरु गोबिंद सिंह और उनका बलिदान
मुख्यमंत्री ने विशेष रूप से गुरु गोबिंद सिंह जी का जिक्र करते हुए कहा कि वह न केवल शहीद पिता के पुत्र थे, बल्कि शहीद पुत्रों के पिता भी थे। उनका जीवन देश और धर्म के प्रति उनकी निष्ठा का प्रतीक है। उन्होंने गुरु तेग बहादुर जी की शहादत का भी उल्लेख किया, जो देश और धर्म की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति देने के लिए तैयार हुए थे। Yogi Adityanath ने बताया कि गुरु गोबिंद सिंह जी महाराज ने अपने पिता, गुरु तेग बहादुर जी की शहादत के बाद, अपने साहिबजादों के बलिदान और युद्धों के माध्यम से देश की रक्षा की और समाज को नई दिशा दी।
गुरु गोबिंद सिंह की शिक्षा और खालसा पंथ की स्थापना
Yogi Adityanath ने गुरु गोबिंद सिंह जी द्वारा खालसा पंथ की स्थापना पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि गुरु गोबिंद सिंह जी ने जातिभेद, छुआछूत और सामाजिक असमानताओं को समाप्त करने के लिए खालसा पंथ की नींव रखी। उनका यह कदम समाज में समानता और भाईचारे का संदेश लेकर आया। गुरु गोबिंद सिंह जी का उद्घोष “सकल जगत में, खालसा पंथ गाजे” उन तमाम विधर्मी ताकतों के खिलाफ था जो देश और धर्म को नष्ट करना चाहते थे। उनके इस उद्घोष ने पूरे समाज को एकजुट करने का काम किया और भारत के धार्मिक और सांस्कृतिक एकता को प्रोत्साहित किया।
गुरु तेग बहादुर और उनके बलिदान का महत्व
मुख्यमंत्री Yogi Adityanath ने गुरु तेग बहादुर जी के बलिदान को याद करते हुए कहा कि उन्होंने अपनी शहादत से न केवल भारतीय संस्कृति को बचाया, बल्कि कश्मीर को भी भारत का हिस्सा बनाए रखा। उनका बलिदान भारतीय जनता के लिए एक अमूल्य धरोहर है। Yogi Adityanath ने यह भी कहा कि गुरु गोबिंद सिंह जी के छोटे साहिबजादों को इस्लाम स्वीकार करने के लिए दबाव डाला गया था, लेकिन उन्होंने इसे ठुकरा दिया और अंत में उन्हें दीवारों में चुनवा दिया गया। इस साहसिक निर्णय ने भारतीय संस्कृति को बचाया और हमें अपने धर्म के प्रति निष्ठा का अहसास कराया।
गुरु गोबिंद सिंह जी के मंत्र और उनका प्रभाव
मुख्यमंत्री Yogi Adityanath ने गुरु गोबिंद सिंह जी के प्रसिद्ध मंत्र “सवा लाख से एक लड़ाऊं, तब गुरु गोबिंद सिंह नाम कहाऊं” का उल्लेख करते हुए कहा कि यह मंत्र आज भी भारतीय समाज को नई ऊर्जा और प्रेरणा प्रदान करता है। गुरु गोबिंद सिंह जी के इस वाक्य में न केवल साहस और वीरता की भावना है, बल्कि यह समाज को यह सिखाता है कि हम विपरीत परिस्थितियों का सामना करने के बावजूद अपनी पहचान और उद्देश्य से न भटके।
गुरु गोबिंद सिंह जी का संदेश और प्रेरणा
मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि गुरु गोबिंद सिंह जी के जीवन और उनकी शिक्षाओं का अध्ययन करना हमारे लिए बहुत जरूरी है। उनके द्वारा दिखाए गए मार्ग पर चलकर ही हम समाज में समानता और भाईचारे की भावना को बढ़ावा दे सकते हैं। उनके जीवन में जो विपरीत परिस्थितियाँ आईं, उन्होंने उनसे उपर उठकर जो संदेश दिया, वह आज भी हमारे लिए एक अमूल्य धरोहर है। Yogi Adityanath ने कहा कि गुरु गोबिंद सिंह जी के जीवन को पढ़ने से यह स्पष्ट होता है कि वह केवल एक महान नेता ही नहीं, बल्कि एक दिव्य महापुरुष थे जिनके विचार और दृष्टिकोण आज भी समाज के लिए मार्गदर्शक हैं।
गुरु तेग बहादुर जी के 350वें शहीदी वर्ष की महत्ता
Yogi Adityanath ने गुरु तेग बहादुर जी के 350वें शहीदी वर्ष का उल्लेख करते हुए कहा कि इस वर्ष को हमारे लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण बनाता है। उन्होंने कहा कि जैसे गुरु नानक देव जी के 550वें प्रकाश पर्व को बड़े उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाया गया था, वैसे ही गुरु तेग बहादुर जी के शहीदी वर्ष और गुरु गोबिंद सिंह जी के प्रकाश पर्व को भी बड़े पैमाने पर मनाया जाना चाहिए। इससे न केवल आने वाली पीढ़ी को सिख गुरुओं के बलिदान और त्याग के बारे में जानकारी मिलेगी, बल्कि समाज में उनके योगदान को भी सही रूप से पहचाना जा सकेगा।
गुरु परंपरा का संरक्षण और प्रचार
मुख्यमंत्री ने लखनऊ के यहियागंज गुरुद्वारे का उल्लेख करते हुए कहा कि यह गुरुद्वारा उस ऐतिहासिक परंपरा का हिस्सा है, जिसमें गुरु तेग बहादुर जी महाराज गुरु गोबिंद सिंह जी को बाल्यकाल में लाकर रुके थे। उन्होंने कहा कि इस परंपरा का संरक्षण और बढ़ावा देना हम सभी का कर्तव्य है, ताकि आने वाली पीढ़ियाँ भी हमारे इतिहास और संस्कृति से परिचित हो सकें।
समाज में सिख गुरुओं की प्रेरणा का प्रचार
मुख्यमंत्री ने अंत में सभी से आह्वान किया कि हमें सिख गुरुओं के बलिदान और उनकी प्रेरणा को अपने जीवन में अपनाना चाहिए। उनका जीवन समाज के लिए एक अमूल्य धरोहर है, और हमें इसे आगे बढ़ाकर समाज में नई ऊर्जा और प्रेरणा का संचार करना चाहिए।Yogi Adityanath ने सिख गुरुओं के जीवन से प्रेरित होकर देश और समाज के लिए अपना योगदान देने की बात कही।
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