America से भारत भेजे गए 33 गुजराती अंडरग्राउंड: 26 लोगों से संपर्क, 7 परिवार गायब
America से जबरन भारत भेजे गए 33 गुजराती प्रवासी अंडरग्राउंड हो गए हैं। इन सभी को पिछले कुछ समय में America से निष्कासित किया गया था, लेकिन अब इनकी स्थिति गंभीर हो गई है। हाल ही में भास्कर की टीम ने इन 33 में से 26 लोगों के घरों तक पहुंचने का प्रयास किया, लेकिन कोई भी प्रवासी सामने नहीं आया। इसके अलावा, 7 परिवारों के सदस्य अपने पते पर नहीं मिले। ऐसा माना जा रहा है कि इन प्रवासियों ने जबरन भारत भेजे जाने के बाद अपनी पहचान छिपा ली है और वह अब अंडरग्राउंड हो गए हैं।
पुलिस ने बात करने से रोका, परिवार ने किया खुलासा
आश्चर्यजनक रूप से, एक परिवार ने खुलकर दावा किया कि पुलिस ने उन्हें किसी से भी बात करने से रोक दिया। यह परिवार उस समय सामने आया जब भास्कर की टीम ने उनके घर का दौरा किया, लेकिन उन्हें बताया गया कि वे बाहर गए हुए हैं। परिवार ने यह भी दावा किया कि पुलिस ने उनसे किसी से मिलने या मीडिया से बात करने की अनुमति नहीं दी। यह एक गंभीर मामला बन गया है क्योंकि इन प्रवासियों के लिए स्थिति स्पष्ट नहीं हो पाई है और अब उनके गायब होने से कई सवाल खड़े हो गए हैं।
33 प्रवासी कौन हैं और क्यों भेजे गए भारत?
यह मामला उन 33 गुजराती प्रवासियों का है जिन्हें America में अवैध रूप से रह रहे होने के कारण पकड़ा गया था और फिर उन्हें भारत वापस भेज दिया गया। इन प्रवासियों का कहना था कि उन्होंने America में सामाजिक और आर्थिक कारणों से स्थायी निवास के लिए आवेदन किया था, लेकिन उनका आवेदन अस्वीकृत हो गया और उन्हें अवैध रूप से America में रहने का आरोप लगा। इसके बाद, अमेरिकी अधिकारियों ने उन्हें वापस भेजने का फैसला किया और यह प्रवासी परिवार अब भारत में अपने घरों में छिपने के लिए मजबूर हो गए हैं।
क्या है अंडरग्राउंड होने की वजह?
इन गुजराती प्रवासियों का अंडरग्राउंड होने का कारण शायद राजनीतिक और सामाजिक असुरक्षा हो सकती है। एक ओर, भारत में उनकी वापसी के बाद मीडिया और पुलिस के दबाव से बचने के लिए, जबकि दूसरी ओर, उनके खिलाफ अवैध प्रवासी के आरोपों की वजह से उन्हें लग सकता है कि उनका जीवन खतरे में है। कुछ परिवारों ने बताया कि उन्होंने भारत में अपनी पहचान छिपाने का फैसला किया ताकि उन्हें कानूनी समस्याओं का सामना न करना पड़े।
पुलिस की भूमिका और कानून
पुलिस का कहना है कि यह प्रवासी मामला एक कानूनी प्रक्रिया के तहत हो रहा था, लेकिन अब जब ये लोग अंडरग्राउंड हो गए हैं तो उनके परिवारों से बात करना भी मुश्किल हो गया है। हालांकि, कुछ प्रवासियों के परिवारों का कहना है कि उनकी सुरक्षा और असुरक्षा की स्थिति के कारण ही उन्हें पुलिस से डर महसूस हो रहा है। इन परिवारों ने यह भी कहा कि पुलिस के कड़े नियम और सख्ती के कारण उन्हें सामाजिक रूप से बाहर आने और मिलकर बात करने में मुश्किलें हो रही हैं।
सामाजिक और कानूनी संकट
यह मामला केवल इन 33 गुजराती प्रवासियों का नहीं है, बल्कि यह व्यापक रूप से उन लाखों प्रवासियों के लिए भी चिंता का विषय है जो अवैध रूप से विभिन्न देशों में रह रहे हैं। जो लोग कानूनी जाल में फंसे हुए हैं, उन्हें न केवल कानूनी पेचिदगियों का सामना करना पड़ता है, बल्कि सामाजिक बहिष्कार और आत्मनिर्भरता की समस्याएं भी उत्पन्न हो सकती हैं।
इस मामले के बारे में, एक विशेषज्ञ का कहना है कि भारत और America दोनों देशों के कानूनी और सामाजिक ढांचे में यह एक गंभीर चुनौती हो सकती है, क्योंकि यह प्रवासियों के जीवन और सुरक्षा पर असर डालने वाला मामला है। अब इन प्रवासियों के लिए अंडरग्राउंड होना और अपनी पहचान छिपाना उनके लिए सुरक्षित हो सकता है, लेकिन यह कानूनी रूप से सही नहीं है। इस पूरे मामले से यह साफ है कि ऐसे प्रवासियों के लिए आवश्यक सहायता और मानवीय दृष्टिकोण की जरूरत है।
क्या होगा आगे?
अब सवाल यह है कि इन अंडरग्राउंड प्रवासियों का क्या होगा? क्या यह लोग भारत में रहकर अपनी नई पहचान बनाएंगे, या फिर उन्हें America के कानूनों का सामना करना पड़ेगा? ये सब उस कानूनी प्रक्रिया पर निर्भर करता है, जो इन प्रवासियों के मामलों पर आगे बढ़ेगी। एक तरफ जहां कुछ परिवार अपनी नवीनतम पहचान बनाने की कोशिश कर रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ कुछ समाजसेवी संस्थाएं इन प्रवासियों को कानूनी मदद प्रदान करने के लिए आगे आ सकती हैं।
सम्भवतः यह मामला बहुत ही महत्वपूर्ण है क्योंकि यह केवल प्रवासी संकट से जुड़ा हुआ नहीं है, बल्कि यह भी बताता है कि अवैध प्रवासियों को संवेदनशीलता और सुरक्षा के साथ कैसे संभालना चाहिए।
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