राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के शताब्दी वर्ष पर अनुशासन, एकता और राष्ट्र निर्माण के संकल्प के साथ हुआ भव्य आयोजन
आसींद: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के शताब्दी वर्ष के अवसर पर कटार मंडल में रविवार को राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय प्रांगण में विजयादशमी उत्सव और शस्त्र पूजन कार्यक्रम का भव्य आयोजन हुआ। यह आयोजन परंपरा, अनुशासन और राष्ट्रभावना से ओतप्रोत रहा। सैकड़ों स्वयंसेवक पारंपरिक गणवेश में उपस्थित रहे, जिन्होंने अनुशासन और संगठन की अद्भुत झलक प्रस्तुत की।
कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण शस्त्र पूजन रहा, जिसे बड़ी श्रद्धा और उत्साह के साथ सम्पन्न किया गया। इस दौरान स्वयंसेवकों ने शाखा प्रदर्शन और देशभक्ति गीतों के माध्यम से अपनी शारीरिक दक्षता और वैचारिक निष्ठा का प्रदर्शन किया। वातावरण में देशभक्ति और संगठन भावना की गूंज सुनाई दी।
मुख्य वक्ता ओमप्रकाश जी (सीपीजी) ने अपने संबोधन में कहा कि विजयादशमी केवल एक धार्मिक परंपरा नहीं, बल्कि समाज जागरण और राष्ट्र निर्माण का प्रतीक है। उन्होंने बताया कि जब समाज संगठित, अनुशासित और जागरूक रहता है, तब कोई भी शक्ति राष्ट्र को कमजोर नहीं कर सकती। उन्होंने संघ के पांच प्रमुख उद्देश्यों — कुटुंब प्रबोधन, सामाजिक समरसता, पर्यावरण संरक्षण, शिष्टाचार और स्वदेशी भाव — को जीवन में अपनाने का आह्वान किया।
वक्ता ने यह भी कहा कि संघ के माध्यम से स्वयंसेवकों में अनुशासित जीवन, सामाजिक एकता और राष्ट्र सेवा की भावना विकसित होती है। कार्यक्रम में यह संदेश दिया गया कि आधुनिक राष्ट्र निर्माण में “शस्त्र और शास्त्र” दोनों का समान महत्व है — एक सुरक्षा का प्रतीक है तो दूसरा ज्ञान और नीति का।
कार्यक्रम के अंत में उपस्थित स्वयंसेवकों ने शपथ ली कि वे राष्ट्रहित में कार्य करते रहेंगे और समाज में एकता, अनुशासन और सेवा की भावना को आगे बढ़ाएंगे। यह आयोजन संघ के शताब्दी वर्ष में शक्ति, संस्कार और संगठन की भावना को सुदृढ़ करने का प्रतीक बना।