Adani मुद्दे पर विपक्षी दलों का अनोखा विरोध प्रदर्शन: राहुल गांधी और कांग्रेस ने दी तिरंगा और गुलाब
Adani समूह से जुड़ा विवाद पिछले कुछ समय से भारतीय राजनीति में गहरे हलचल मचा रहा है। कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल इस मुद्दे को लेकर लगातार भाजपा सरकार पर हमलावर हैं। बुधवार को Adani मुद्दे को लेकर संसद परिसर में एक अजीबो-गरीब और प्रतीकात्मक विरोध प्रदर्शन हुआ। कांग्रेस, राष्ट्रीय जनता दल (राजद), और अन्य विपक्षी दलों के सांसदों ने इस विरोध को Adani समूह के खिलाफ अपनी आवाज उठाने के एक अनोखे तरीके के रूप में पेश किया। इस प्रदर्शन के दौरान, विपक्षी सांसदों ने भाजपा नेताओं को तिरंगा और गुलाब का फूल भेंट कर यह संदेश देने की कोशिश की कि वे अडानी मामले पर सरकार के सामने अपनी जिम्मेदारी निभाने की मांग कर रहे हैं।
Adani मुद्दे पर संसद में हुआ विरोध प्रदर्शन
Adani समूह से जुड़ी कई महत्वपूर्ण घटनाओं और आरोपों को लेकर विपक्षी दलों ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों का आरोप है कि अडानी मामले में भाजपा की संलिप्तता है और इसका पर्दाफाश किया जाना चाहिए। बुधवार को इस मुद्दे पर विरोध प्रदर्शन करते हुए कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों के सांसदों ने संसद भवन के ‘मकर द्वार’ के पास इकट्ठा होकर बीजेपी के सांसदों को तिरंगा और गुलाब भेंट किया। इस प्रतीकात्मक प्रदर्शन का उद्देश्य यह था कि विपक्षी दलों ने अडानी मुद्दे को लेकर सरकार पर दबाव डाला और साथ ही देश की रक्षा करने का आह्वान किया।
गुलाब और तिरंगा: विरोध का प्रतीक
राहुल गांधी और अन्य कांग्रेस नेताओं ने जब रक्षामंत्री राजनाथ सिंह की कार को संसद परिसर में देखा, तो वे उनके पास पहुंचे और गुलाब का फूल और तिरंगा भेंट किया। गुलाब का फूल आमतौर पर सौहार्द और सम्मान का प्रतीक माना जाता है, जबकि तिरंगा देशभक्ति और राष्ट्रीय एकता का प्रतीक है। कांग्रेस ने इन दोनों वस्तुओं के माध्यम से यह संदेश देने की कोशिश की कि वे देश की संप्रभुता और लोकतंत्र की रक्षा के लिए खड़े हैं, और अडानी समूह से जुड़े मामलों में सरकार को जवाबदेह ठहराना चाहते हैं।
हालांकि, रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने राहुल गांधी और अन्य नेताओं द्वारा दी गई भेंट को लेने से इनकार कर दिया। रक्षामंत्री का यह कदम कई तरह की चर्चाओं का कारण बना। विपक्षी नेताओं का कहना था कि राजनाथ सिंह का यह कदम उनके दावे को और मजबूत करता है कि भाजपा सरकार अडानी समूह के मामले में गंभीर नहीं है और इसे लेकर किसी प्रकार की जवाबदेही नहीं स्वीकार करना चाहती।
विरोध का उद्देश्य: अडानी समूह पर सरकार की चुप्पी
कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों का मुख्य आरोप यह है कि Adani समूह के साथ जुड़े विवादों पर भाजपा सरकार की चुप्पी देश के लोकतांत्रिक संस्थाओं और राजनीति के लिए खतरनाक हो सकती है। विपक्षी दलों का कहना है कि Adani समूह के संदिग्ध लेन-देन और सरकार के साथ उसके रिश्तों की जांच होनी चाहिए, ताकि देश में व्यापार और राजनीति के बीच की सीमा को साफ किया जा सके। उनका आरोप है कि अडानी मुद्दे पर भाजपा सरकार सच्चाई को सामने लाने से बच रही है।
विरोध के दौरान विपक्षी सांसदों ने यह भी कहा कि वे देश को ‘बेचना’ नहीं देंगे और तिरंगा और गुलाब का फूल यह संदेश देने का एक तरीका था कि वे देश की अखंडता और लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा करने के लिए खड़े हैं।
प्रियंका गांधी का समर्थन
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा भी इस विरोध प्रदर्शन में शामिल हुईं। प्रियंका गांधी ने अपनी पार्टी और विपक्षी नेताओं के साथ मिलकर सरकार पर दबाव डालने का प्रयास किया। उन्होंने विपक्षी सांसदों के साथ मिलकर यह सुनिश्चित किया कि अडानी मुद्दे पर भाजपा की चुप्पी को तोड़ा जाए और मामले की पूरी जांच हो। प्रियंका गांधी ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि अडानी समूह से जुड़ी घटनाओं की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए और सरकार को इस मुद्दे पर जवाब देना चाहिए।
नीले झोले का विरोध
इससे पहले, मंगलवार को विपक्षी दलों ने नीले रंग के झोले लेकर विरोध प्रदर्शन किया था। यह प्रदर्शन अडानी समूह से जुड़ी कंपनियों के खिलाफ था और यह बताने का तरीका था कि वे इस मुद्दे पर भाजपा सरकार से सवाल पूछ रहे हैं। नीले रंग का झोला प्रतीकात्मक रूप से उस विरोध का हिस्सा था, जिसमें विपक्ष ने अडानी मुद्दे को लेकर सरकार से जवाबदेही की मांग की।
Adani मुद्दा और राजनीतिक प्रभाव
Adani मुद्दा भारतीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण विवाद बन चुका है, जो न केवल आर्थिक बल्कि राजनीतिक दृष्टि से भी प्रभावी हो रहा है। विपक्षी दलों का यह आरोप है कि अडानी समूह का सरकार के साथ गहरे संबंध हैं और यह देश की राजनीति और अर्थव्यवस्था को प्रभावित कर रहा है। इस मामले ने देश में बड़े पैमाने पर चर्चा को जन्म दिया है, खासकर जब से यह आरोप सामने आए हैं कि अडानी समूह के पक्ष में सरकार ने अपनी शक्ति का गलत इस्तेमाल किया है।
कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों का मानना है कि इस मुद्दे पर सरकार को जवाब देना चाहिए और अडानी समूह के संदिग्ध लेन-देन की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए। वहीं, भाजपा का कहना है कि अडानी समूह की कंपनियां पूरी तरह से कानूनी ढांचे के भीतर काम कर रही हैं और इस तरह के आरोप निराधार हैं।
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