Delhi चुनाव: 2% कम वोटिंग से AAP और BJP को होगा क्या फायदा?

By Editor
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Delhi चुनाव 2025: कम वोटिंग का सियासी असर और एग्जिट पोल के नतीजे

Delhi विधानसभा चुनाव के एग्जिट पोल नतीजे सामने आ चुके हैं, जिनके अनुसार भाजपा सरकार बनने की संभावना जताई जा रही है। वहीं, आम आदमी पार्टी (AAP) की हैट्रिक जीत अब मुश्किल लग रही है। हालांकि, Delhi में वोटिंग का पैटर्न इस बार अलग रहा है और इसमें 2% की कमी आई है, जो 2020 के मुकाबले काफी महत्वपूर्ण बदलाव है। अब सवाल यह है कि इस कम वोटिंग का सियासी असर किसके पक्ष में जाएगा—भा.ज.पा. या आम आदमी पार्टी?

2025 Delhi चुनाव में कम वोटिंग का विश्लेषण

Delhi में इस बार 60.40% वोटिंग हुई, जो पिछले विधानसभा चुनाव यानी 2020 से 2.15% कम है। यह प्रतिशत 2013 के बाद से सबसे कम वोटिंग प्रतिशत रहा है। जब से आम आदमी पार्टी ने Delhi में चुनावी संघर्ष शुरू किया, तब से यह अब तक की सबसे धीमी वोटिंग रही है। अगर हम Delhi के पिछले चुनावों के आंकड़ों को देखें तो हर बार जब वोटिंग का प्रतिशत कम हुआ, तो इसका असर आम आदमी पार्टी पर पड़ा और उसकी सीटों में गिरावट आई।

कम वोटिंग और आम आदमी पार्टी का नुकसान

आंकड़ों से साफ है कि जब भी Delhi में वोटिंग कम हुई है, आम आदमी पार्टी को नुकसान हुआ है। 2013 में जब आम आदमी पार्टी ने अपनी पहली बार चुनाव लड़ा था, तब वोटिंग प्रतिशत 65.63% था, जो कि 2008 से 8% ज्यादा था, और इसका सीधा असर कांग्रेस की हार और आम आदमी पार्टी के उदय पर पड़ा था। उसी तरह, 2015 में 67.13% वोटिंग के बाद आम आदमी पार्टी को ऐतिहासिक जीत मिली। हालांकि, 2020 में वोटिंग प्रतिशत घटकर 62.55% हुआ और आम आदमी पार्टी की सीटें भी घट गईं, बावजूद इसके पार्टी सत्ता में बनी रही।

अब 2025 में 60.40% वोटिंग के साथ, यह माना जा रहा है कि आम आदमी पार्टी की सीटों में गिरावट आ सकती है। एग्जिट पोल के नतीजे भी यही संकेत दे रहे हैं। हालांकि, यह पूरी तरह से स्पष्ट नहीं है कि क्या एग्जिट पोल के नतीजे सही साबित होंगे, क्योंकि वोटिंग देर रात तक जारी रही और यह अनुमान केवल शुरुआती आंकड़ों पर आधारित हैं।

कम वोटिंग का सियासी असर: भाजपा के पक्ष में या आम आदमी पार्टी के पक्ष में?

कम वोटिंग का सियासी असर क्या हो सकता है, इसे समझने के लिए हमें यह देखना होगा कि वोटिंग में उतार-चढ़ाव क्या संकेत देता है। देश में आमतौर पर यह देखा गया है कि जब वोटिंग प्रतिशत बढ़ता है, तो इसका मतलब होता है कि जनता बदलाव चाहती है। दूसरी ओर, जब वोटिंग कम होती है, तो इसका मतलब यह होता है कि जनता संतुष्ट है या फिर बहुत अधिक नाखुश नहीं है।

2013 और 2015 के चुनावों में बंपर वोटिंग हुई, और इन चुनावों में आम आदमी पार्टी की बंपर जीत हुई थी। वहीं, 2020 में वोटिंग घटने के बावजूद आम आदमी पार्टी सत्ता में बनी रही। इस बार, हालांकि वोटिंग प्रतिशत में थोड़ा सा अंतर आया है, जिससे यह कहना मुश्किल है कि बदलाव की कोई गंभीर संभावना होगी या नहीं।

कम वोटिंग: किसे फायदा, किसे नुकसान?

कम वोटिंग का सीधा असर भाजपा और आम आदमी पार्टी दोनों के लिए हो सकता है, लेकिन यह किसी पार्टी के लिए बड़ा फायदा नहीं हो सकता। एग्जिट पोल ने भाजपा को विजेता के रूप में दिखाया है, लेकिन यह संभावना पूरी तरह से स्पष्ट नहीं है। आम आदमी पार्टी ने Delhi में अब तक के चुनावों में जो रिकॉर्ड कायम किया है, उसे देखते हुए एक निश्चित हद तक विश्वास किया जा सकता है कि उसका मुकाबला भाजपा से कड़ा होगा।

आखिरकार, यह कहना कि भाजपा की जीत सुनिश्चित है या आम आदमी पार्टी हार जाएगी, अभी जल्दबाजी होगी। Delhi का राजनीतिक समीकरण तेजी से बदल सकता है, और यह देखने वाली बात होगी कि 8 फरवरी को आने वाले फाइनल नतीजे क्या तस्वीर पेश करते हैं।

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