भारत सरकार ने जारी किया Digital Personal Data सुरक्षा नियम का मसौदा: 18 फरवरी तक टिप्पणियाँ आमंत्रित
Digital Personal Data सुरक्षा नियम, 2025 के मसौदे को शुक्रवार को भारत सरकार ने जारी किया, जिसमें भारतीय नागरिकों के व्यक्तिगत डेटा की सुरक्षा से संबंधित कई महत्वपूर्ण प्रावधानों का उल्लेख किया गया है। इन नियमों में यह सुनिश्चित किया गया है कि भारतीय नागरिकों का Digital Personal Data देश से बाहर न जाए और 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के सोशल मीडिया अकाउंट बनाने के लिए माता-पिता की सहमति अनिवार्य हो।
मसौदा नियमों में प्रमुख प्रावधान
1. Digital Personal Data की सुरक्षा:
मसौदा नियमों में सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि डेटा फिड्युसरी (जो डेटा को नियंत्रित और संग्रहित करता है) को यह सुनिश्चित करना होगा कि वह व्यक्तिगत डेटा की सुरक्षा के लिए उचित उपाय कर रहा है। इसके तहत, डेटा उल्लंघन से बचाव के लिए तकनीकी और संगठनात्मक उपाय किए जाने होंगे, ताकि डेटा के गलत उपयोग या चोरी की संभावना कम हो।
2. डेटा उल्लंघन की रिपोर्टिंग:
अगर किसी भी डेटा उल्लंघन की घटना होती है, तो डेटा फिड्युसरी को अपनी सर्वोत्तम जानकारी के आधार पर प्रभावित उपयोगकर्ताओं को सूचित करना होगा। यह सूचना संक्षिप्त, स्पष्ट और बिना किसी देरी के प्रदान की जाएगी, ताकि उपयोगकर्ता अपने डेटा की सुरक्षा के लिए त्वरित कदम उठा सकें।
3. बच्चों के व्यक्तिगत डेटा की सुरक्षा:
मसौदे में यह भी स्पष्ट किया गया है कि 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के व्यक्तिगत डेटा के प्रसंस्करण के लिए सत्यापन योग्य सहमति आवश्यक होगी। इसका मतलब यह है कि बच्चों के डेटा के उपयोग से पहले माता-पिता की सहमति प्राप्त की जाएगी। डेटा फिड्युसरी को यह सुनिश्चित करना होगा कि सहमति देने वाला व्यक्ति वास्तविक अभिभावक है और उसने भारत में लागू कानूनों का पालन किया है।
4. डेटा फिड्युसरी की जिम्मेदारी:
मसौदा नियमों के अनुसार, डेटा फिड्युसरी को अपने कब्जे में या नियंत्रण में मौजूद व्यक्तिगत डेटा की सुरक्षा सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी दी गई है। इसका मतलब यह है कि डेटा प्रोसेसिंग कंपनियां और संगठन केवल तब तक डेटा प्रोसेस कर सकती हैं जब तक वे इसकी सुरक्षा के लिए आवश्यक उपाय न करें। इसके अलावा, यदि किसी ने यह डेटा जमा किया है, तो उसे यह सुनिश्चित करना होगा कि किसी भी उल्लंघन की स्थिति में इसका सही तरीके से प्रबंधन हो।
5. सार्वजनिक परामर्श और टिप्पणियाँ:
भारत सरकार ने इन मसौदा नियमों को सार्वजनिक परामर्श के लिए जारी किया है और 18 फरवरी 2025 तक आम जनता से टिप्पणियाँ आमंत्रित की हैं। यह परामर्श प्रक्रिया इस मसौदे को अंतिम रूप देने से पहले सार्वजनिक राय प्राप्त करने का एक महत्वपूर्ण कदम है। विशेषज्ञों और नागरिकों से इन नियमों पर सुझाव प्राप्त किए जाएंगे, ताकि इसे व्यापक रूप से स्वीकार्य और प्रभावी बनाया जा सके।
6. केंद्र सरकार द्वारा नियुक्ति प्रक्रिया:
मसौदा नियमों के अनुसार, केंद्र सरकार एक खोज-सह-चयन समिति का गठन करेगी। इस समिति के अध्यक्ष कैबिनेट सचिव होंगे, और अन्य सदस्य भारत सरकार के सचिव और क्षेत्रीय विशेषज्ञों से होंगे। यह समिति अध्यक्ष और अन्य सदस्यों की नियुक्ति के लिए सिफारिश करेगी। इससे यह सुनिश्चित होगा कि इस समिति में वे लोग शामिल हों जिनके पास डिजिटल डेटा सुरक्षा और प्रौद्योगिकी से संबंधित गहरे ज्ञान और अनुभव हैं।
7. डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण नियम, 2025 का महत्व:
अगस्त 2023 में डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण अधिनियम (DPDP) पारित होने के बाद से इस नियम के मसौदे का इंतजार किया जा रहा था। इस कानून का उद्देश्य भारतीय नागरिकों के व्यक्तिगत डेटा की सुरक्षा करना और यह सुनिश्चित करना है कि कंपनियां और संगठन सही तरीके से और जिम्मेदारी से डेटा का उपयोग करें। इस कानून का पालन करने से नागरिकों को यह आश्वासन मिलेगा कि उनके डेटा की सुरक्षा की जाएगी और यह उनके अधिकारों का उल्लंघन नहीं होगा।
Digital Personal Data सुरक्षा के उपायों का प्रभाव
भारत में Digital Personal Data सुरक्षा एक महत्वपूर्ण विषय बन चुका है, खासकर जब से सोशल मीडिया और ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म्स में व्यक्तियों के Digital Personal Data का उपयोग बढ़ा है। पिछले कुछ वर्षों में कई डेटा उल्लंघन और जानकारी की चोरी के मामले सामने आए हैं, जिससे व्यक्तिगत डेटा की सुरक्षा की आवश्यकता और भी बढ़ गई है। इस संदर्भ में, सरकार द्वारा तैयार किए गए मसौदा नियमों का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि Digital Personal Data का दुरुपयोग न हो, और यदि किसी कारणवश डेटा उल्लंघन होता है, तो नागरिकों को समय पर सूचित किया जाए।
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