ISRO जनवरी में 100वें प्रक्षेपण मिशन के साथ इतिहास रचने के लिए पूरी तरह तैयार: सोमनाथ
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) एक और ऐतिहासिक क्षण की ओर बढ़ रहा है, क्योंकि वह जनवरी के मध्य में अपने 100वें प्रक्षेपण मिशन को अंजाम देने के लिए तैयार है। इस मिशन के साथ इसरो की प्रक्षेपणों की शताब्दी का आयोजन होगा, जो भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में एक नया मील का पत्थर साबित होगा। ISRO के अध्यक्ष एस. सोमनाथ ने इस सफलता को लेकर अपने बयान में कहा कि यह मिशन भविष्य के अंतर-ग्रहीय अभियानों और पहले मानव अंतरिक्ष यान “गगनयान” के लिए एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा।
पीएसएलवी-सी60/स्पैडेक्स मिशन: इसरो की निरंतर प्रगति का उदाहरण
ISRO के 99वें मिशन के तौर पर पीएसएलवी-सी60/स्पैडेक्स अंतरिक्षयान का सफल प्रक्षेपण एक महत्वपूर्ण उपलब्धि थी। यह मिशन अंतरिक्ष डॉकिंग अनुसंधान के क्षेत्र में एक नई दिशा खोलता है, जो अंतरिक्ष में निर्माण, उपग्रहों के रखरखाव और मानव अंतरिक्ष यान मिशनों में सहायक साबित होगा। सोमनाथ ने मिशन के सफल समापन के बाद वैज्ञानिकों को बधाई देते हुए कहा कि यह मिशन ISRO के प्रयासों का एक और उदाहरण है, जो अंतरिक्ष की नई सीमाओं को छूने के लिए लगातार मेहनत कर रहा है।
अंतरिक्ष डॉकिंग अनुसंधान: भविष्य के मिशनों के लिए मील का पत्थर
स्पैडेक्स मिशन का प्राथमिक उद्देश्य अंतरिक्ष डॉकिंग तकनीक का परीक्षण करना था, जो भविष्य में अंतरिक्ष स्टेशन निर्माण और मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशनों के लिए बेहद महत्वपूर्ण होगा। सोमनाथ ने इस मिशन को ‘अनुसंधान और विकास’ के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि यह भविष्य में अंतरिक्ष स्टेशनों के विकास में मदद करेगा। उन्होंने कहा, “यह एक नियंत्रित तकनीक है और इसके द्वारा हम अंतरिक्ष में निर्माण और उपग्रहों की सेवा को बेहतर बना सकते हैं।”
100वें मिशन के लिए तैयार ISRO
ISRO के अध्यक्ष ने इस बात की पुष्टि की कि जनवरी के मध्य में होने वाला जीएसएलवी मिशन ISRO का 100वां मिशन होगा, जो 2025 के पहले प्रक्षेपण के रूप में आयोजित किया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि 2025 में ISRO के पास कई मिशन होंगे, जिनमें सबसे पहले जीएसएलवी द्वारा एनवीएस-02 (नाविक समूह का उपग्रह) का प्रक्षेपण होगा। यह घोषणा इसरो के भविष्य के मिशनों के लिए आशा की किरण है, क्योंकि यह भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम को नए आयाम देने का एक महत्वपूर्ण कदम होगा।
पीएसएलवी-सी60 मिशन की देरी और तकनीकी सावधानी
पीएसएलवी-सी60 मिशन के प्रक्षेपण में 2 मिनट की देरी के बारे में बताते हुए सोमनाथ ने कहा कि यह देरी उपग्रहों की सुरक्षा के लिए सुनिश्चित की गई थी। उन्होंने कहा, “हमने यह देरी सुनिश्चित करने के लिए की थी ताकि हमारे उपग्रह अन्य उपग्रहों के बहुत करीब न आ जाएं। यह एक नियंत्रित तकनीक है, और हम इस मिशन पर गर्व महसूस कर रहे हैं।” यह दर्शाता है कि ISRO की टीम न केवल अपने मिशनों को सफलतापूर्वक पूरा करती है, बल्कि उन मिशनों के दौरान उच्चतम स्तर की सुरक्षा और सावधानी भी बरतती है।
भारत के अंतरिक्ष मिशनों की बढ़ती प्रभावशीलता
ISRO की प्रगति इस बात का संकेत है कि भारत अंतरिक्ष क्षेत्र में एक प्रमुख शक्ति बनता जा रहा है। पिछले कुछ वर्षों में इसरो ने कई महत्वपूर्ण मिशनों को सफलता से पूरा किया है, जिनमें चंद्रयान-2, मंगलयान, और हाल ही में स्पैडेक्स मिशन जैसे ऐतिहासिक प्रयास शामिल हैं। इन मिशनों के सफल संचालन ने वैश्विक स्तर पर भारत की प्रतिष्ठा को बढ़ाया है और अंतरिक्ष विज्ञान में भारत के योगदान को महत्वपूर्ण बना दिया है।
गगनयान मिशन: मानव अंतरिक्ष उड़ान की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम
ISRO की योजना में गगनयान मिशन एक प्रमुख भूमिका निभाता है, जो भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम में मानव अंतरिक्ष उड़ान के रूप में एक नया अध्याय खोलेगा। सोमनाथ ने इस मिशन की प्रगति पर भी बात की, और कहा कि यह भविष्य के अंतर-ग्रहीय मिशनों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम होगा। गगनयान मिशन इसरो के लिए एक बड़ी चुनौती है, लेकिन इसके सफल होने से भारत को अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष समुदाय में और भी अधिक सम्मान मिलेगा।
नव वर्ष 2025 के लिए इसरो की तैयारियां
सोमनाथ ने कहा कि जनवरी के मध्य में जीएसएलवी मिशन 100वां प्रक्षेपण होगा, और यह इसरो के लिए एक ऐतिहासिक क्षण होगा। इसके बाद, कई और मिशन इसरो के कैलेंडर में हैं, जिनमें प्रमुख उपग्रह प्रक्षेपण शामिल हैं। उन्होंने कहा कि 2025 में कई मिशन होंगे, और इस साल के अंत तक भारत की अंतरिक्ष यात्रा में और भी अधिक सफलता देखने को मिलेगी।
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