अंग्रेजी माध्यम के विद्यालयों के लिए समिति गठित करने का कारण – Dotasara

By Editor
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Dotasara

राजस्थान में अंग्रेजी माध्यम विद्यालयों के लिए समिति गठन पर Dotasara का सवाल: भाजपा सरकार पर निशाना

राजस्थान प्रदेश कांग्रेस समिति के अध्यक्ष गोविंद सिंह Dotasara ने हाल ही में राज्य सरकार द्वारा गठित मंत्रिमंडलीय समिति पर सवाल उठाए हैं, जो राज्य में खोले गए 3737 महात्मा गांधी अंग्रेजी माध्यम विद्यालयों की समीक्षा करने के लिए बनाई गई है। Dotasara ने कहा कि राज्य सरकार का गठन होने के बाद पूरे 12 महीने तक इस योजना की समीक्षा क्यों नहीं की गई, और अब सरकार को अचानक यह समिति गठित करने की आवश्यकता क्यों पड़ी? डोटासरा ने यह भी सवाल किया कि इस मुद्दे पर सरकार इतने लंबे समय तक क्यों सोई रही?

महात्मा गांधी अंग्रेजी माध्यम विद्यालयों का महत्व

राजस्थान में महात्मा गांधी अंग्रेजी माध्यम विद्यालयों की शुरुआत पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने की थी, जिनका मुख्य उद्देश्य ग्रामीण और पिछड़े क्षेत्रों के बच्चों को अंग्रेजी माध्यम में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करना था। इन विद्यालयों में इस वर्ष 6 लाख 77 हजार से अधिक छात्र-छात्राएं प्रवेश लेकर शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं, जिसमें लड़कियों की संख्या लड़कों से अधिक है। इन विद्यालयों में बच्चों को नि:शुल्क अंग्रेजी माध्यम की शिक्षा दी जाती है। पिछले शैक्षणिक सत्र में इन विद्यालयों में 7 लाख 9 हजार 270 छात्र-छात्राएं अध्ययन कर रहे थे।

कांग्रेस सरकार की पहल और भर्तियों का मुद्दा

Dotasara ने बताया कि कांग्रेस सरकार के शासन में महात्मा गांधी अंग्रेजी माध्यम विद्यालयों के लिए 45 हजार 300 पदों की स्वीकृति दी गई थी। साथ ही, इन विद्यालयों के लिए अलग से अंग्रेजी माध्यम के शिक्षक कैडर का गठन किया गया था। कांग्रेस सरकार के दौरान 10 हजार नई भर्तियां भी की गई थीं, जिनमें परीक्षा और इंटरव्यू के माध्यम से शिक्षकों की नियुक्ति की गई थी।

लेकिन, Dotasara ने वर्तमान भाजपा सरकार पर आरोप लगाया कि पिछले एक वर्ष से इन स्कूलों में 17 हजार 192 पद रिक्त हैं, जिसमें 13 हजार 552 पद शिक्षकों के और 3440 पद अन्य स्टाफ के हैं। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार ने इन पदों को भरने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए, और न ही मुख्यमंत्री या शिक्षा मंत्री ने इस मुद्दे पर कोई कार्यवाही की।

भर्ती में देरी और विवाद

श्री Dotasara ने भाजपा सरकार की भर्ती प्रक्रिया पर भी सवाल उठाए। उन्होंने बताया कि भाजपा सरकार ने भर्ती के लिए परीक्षा आयोजित की थी, लेकिन परिणाम में देरी हुई और इसमें विवादित प्रावधान भी जोड़े गए, जैसे जिले के 10 प्रतिशत बोनस अंक देने का प्रावधान। डोटासरा के अनुसार, इस फैसले का उद्देश्य भर्ती को विवाद में डालना था, ताकि यह प्रक्रिया अटक जाए।

इसके बाद, जब लोग न्यायालय में गए और यह प्रावधान हटाया गया, तो परिणाम तो घोषित कर दिया गया, लेकिन भर्ती प्रक्रिया अभी भी पूरी नहीं हुई। शिक्षा मंत्री ने अब परीक्षा में सफल उम्मीदवारों का साक्षात्कार लेने के निर्देश दिए हैं, लेकिन Dotasara का कहना है कि यह पूरी प्रक्रिया भाजपा और आरएसएस के समर्थकों को भर्ती करने की योजना के तहत हो रही है। उन्होंने कहा कि शिक्षा मंत्री की मंशा यह है कि केवल उन्हीं उम्मीदवारों को भर्ती किया जाए, जो भाजपा या आरएसएस के विचारधारा से जुड़े हों।

कांग्रेस सरकार की योजना को खत्म करने की साजिश

Dotasara ने आरोप लगाया कि भाजपा नेता कांग्रेस सरकार द्वारा शुरू की गई इस योजना से डरते हैं, और इस योजना की लोकप्रियता से भयभीत होकर वे इसे खत्म करने की साजिश रच रहे हैं। उन्होंने कहा कि भाजपा के नेता पिछले एक साल से इस योजना को खत्म करने के लिए षड्यंत्र कर रहे थे।

भर्ती प्रक्रिया और न्याय का सवाल

कांग्रेस नेता ने यह भी कहा कि यह निंदनीय है कि भाजपा सरकार अपनी विचारधारा को बढ़ावा देने के लिए योग्य उम्मीदवारों की जगह अपनी पार्टी के समर्थकों को भर्ती करने का प्रयास कर रही है। Dotasara का यह भी कहना था कि जो उम्मीदवार परीक्षा में पास होकर मेरिट में आए हैं, उन्हें भर्ती करने की बजाय भाजपा के विचारधारा वाले व्यक्तियों को भर्ती करने की सोच अनैतिक और निंदनीय है।

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