Gehlot ने उच्चतम न्यायालय की ठेकाकर्मी, संविदाकर्मियों और गिग वर्कर्स पर टिप्पणी को बताया उचित
राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता Ashok Gehlot ने हाल ही में उच्चतम न्यायालय द्वारा ठेकाकर्मियों, संविदाकर्मियों और गिग वर्कर्स के बारे में की गई टिप्पणी को समय की जरूरत और उचित बताया है। Gehlot का मानना है कि इस समय इन कर्मचारियों की स्थिति पर चर्चा जरूरी है और इनकी सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कानूनी उपायों की आवश्यकता है। उन्होंने इस मुद्दे को उठाते हुए वर्तमान भारतीय जनता पार्टी (भा.ज.पा.) सरकार की आलोचना की और कहा कि उनकी सरकार के समय राजस्थान में इन कर्मचारियों के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए गए थे, जिन्हें वर्तमान सरकार द्वारा नजरअंदाज किया जा रहा है।
Gehlot ने राजस्थान सरकार की पहल को याद किया
Ashok Gehlot ने अपने सोशल मीडिया पर एक बयान जारी करते हुए कहा कि जब वह राजस्थान के मुख्यमंत्री थे, तो उन्होंने ठेकाकर्मियों, संविदाकर्मियों और गिग वर्कर्स के सामाजिक सुरक्षा के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए थे। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार ने इन कर्मचारियों के नियमितिकरण के लिए सर्विस रूल्स बनाए थे और ठेकाकर्मियों के शोषण को समाप्त करने के लिए सरकारी निगम राजस्थान स्टेट लेबर डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन (आरएसएलडीसी) को सक्रिय किया था। इसके अलावा, गहलोत ने यह भी बताया कि गिग वर्कर्स के लिए विशेष कानून बनाये गए थे, जो उनकी सुरक्षा और उनके भविष्य के लिए महत्वपूर्ण थे।
Gehlot के अनुसार, उनकी सरकार ने इन क्षेत्रों में कामकाजी लोगों को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए थे। लेकिन उन्होंने वर्तमान भाजपा सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि अब इन मुद्दों को न केवल नजरअंदाज किया जा रहा है, बल्कि इन विषयों को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है, जिससे लाखों लोगों का भविष्य अधर में है।
भाजपा सरकार की आलोचना
Gehlot ने भाजपा सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि राज्य सरकार ने इन तीन महत्वपूर्ण विषयों पर कोई ठोस कदम नहीं उठाए हैं। उन्होंने यह भी कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि भाजपा सरकार ने राजस्थान सरकार द्वारा किए गए कामों को आगे बढ़ाने के बजाय उन्हें बिना किसी गंभीरता के छोड़ दिया है। Gehlot का मानना है कि राजस्थान सरकार को उनके द्वारा किए गए कामों को आगे बढ़ाना चाहिए और इस संबंध में नये नियमों को बनाकर लागू करना चाहिए ताकि ठेकाकर्मी, संविदाकर्मी और गिग वर्कर्स के जीवन में सुधार हो सके और उनके भविष्य की अनिश्चितता समाप्त हो सके।
Gehlot का सुझाव: अन्य राज्य सरकारों को भी बनाना चाहिए ऐसे कानून
Ashok Gehlot ने यह भी कहा कि राजस्थान की तरह सभी राज्य सरकारों को ठेकाकर्मियों, संविदाकर्मियों और गिग वर्कर्स के लिए सामाजिक सुरक्षा कानून बनाने चाहिए। उनके अनुसार, यह कानून इन कर्मचारियों के लिए जीवन स्तर में सुधार लाने के साथ-साथ उनकी अनिश्चितता को समाप्त करने में मदद करेंगे। उन्होंने जोर दिया कि इन श्रेणियों के कर्मचारियों को उनकी मेहनत का उचित अधिकार मिलना चाहिए और उन्हें सरकार से सुरक्षा की उम्मीद होनी चाहिए।
Gehlot ने अपने बयान में कहा, “हमारी सरकार ने ठेकाकर्मियों, संविदाकर्मियों और गिग वर्कर्स की समस्याओं को समझा और उनके जीवन में बदलाव लाने के लिए सख्त कदम उठाए। यह समय की आवश्यकता है कि अन्य राज्य सरकारें भी इस दिशा में कदम उठाएं और इन कर्मचारियों के लिए मजबूत कानूनी ढांचा तैयार करें, ताकि उन्हें बेहतर भविष्य मिल सके।”
ठेकाकर्मी, संविदाकर्मी और गिग वर्कर्स की स्थिति
भारत में ठेकाकर्मियों, संविदाकर्मियों और गिग वर्कर्स की स्थिति काफी चिंताजनक रही है। इन कर्मचारियों को स्थिर रोजगार और सामाजिक सुरक्षा के मुद्दों का सामना करना पड़ता है। ठेका और संविदा आधारित कामकाजी शर्तों के तहत काम करने वाले कर्मचारियों को अक्सर न्यूनतम वेतन, चिकित्सा सहायता, पेंशन योजना और अन्य बुनियादी सुविधाओं से वंचित रखा जाता है। इसके अलावा, गिग वर्कर्स जिन्हें अस्थायी रूप से काम दिया जाता है, वे भी भविष्य के सुरक्षा उपायों से वंचित होते हैं। इन कर्मचारियों की यह असुरक्षित स्थिति उनकी सामाजिक और आर्थिक स्थिति को गंभीर रूप से प्रभावित करती है।
इसके अलावा, भारत में बढ़ती बेरोजगारी और असुरक्षित रोजगार की स्थिति ने ठेकाकर्मियों और संविदाकर्मियों की संख्या में वृद्धि की है। हालांकि सरकारों ने कुछ योजनाओं की शुरुआत की है, लेकिन अभी भी इन श्रेणियों के कर्मचारियों को उचित कानूनी और सामाजिक सुरक्षा नहीं मिल पाई है।
Gehlot की पहल और भविष्य
Ashok Gehlot का यह बयान उन कर्मचारियों के लिए एक उम्मीद की किरण साबित हो सकता है, जो लंबे समय से अपनी स्थिति सुधारने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। यदि उनकी सिफारिशों को गंभीरता से लिया जाता है, तो इन कर्मचारियों के लिए कानून और नियमों में सुधार हो सकता है, जिससे उन्हें उनके अधिकार मिल सकेंगे और भविष्य में उनके जीवन स्तर में सुधार हो सकेगा।
Gehlot की पहल न केवल राजस्थान बल्कि देशभर के ठेकाकर्मियों, संविदाकर्मियों और गिग वर्कर्स के लिए एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकती है। उनके सुझावों के आधार पर अगर सभी राज्य सरकारें इन कर्मचारियों के लिए सामाजिक सुरक्षा कानून बनाती हैं, तो इससे उनके जीवन में एक सकारात्मक बदलाव आ सकता है।
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