भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के चेयरमैन वी नारायणन ने कहा है कि भारत का अगला लक्ष्य अपना खुद का स्पेस स्टेशन बनाना और अंतरिक्ष यात्रियों को चंद्रमा पर भेजना है। वे ‘विकसित भारत 2047’ पर उत्तर प्रदेश की राज्य स्तरीय कार्यशाला में बोल रहे थे।
उन्होंने बताया कि 1963 में भारत ने पहला रॉकेट लॉन्च किया था और अब तक 100 से ज़्यादा रॉकेट लॉन्च किए जा चुके हैं। 1975 तक देश के पास अपना कोई उपग्रह नहीं था, लेकिन आज भारत के पास 131 सेटेलाइट्स हैं। एक समय था जब रॉकेट साइकिल पर ढोए जाते थे, और आज भारत उस मुकाम पर है जहां लोअर ऑर्बिट में 75,000 किलो वज़न तक के सेटेलाइट भेजने की तैयारी चल रही है।
मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने इस अवसर पर कहा कि टेक्नोलॉजी के बिना विकास अधूरा है, और इसरो इस दिशा में देश को नेतृत्व दे रहा है। उन्होंने ISRO को दुनिया का सबसे किफायती और भरोसेमंद सैटेलाइट लॉन्चर बताया।
उत्तर प्रदेश में रिमोट सेंसिंग सेंटर की स्थापना वर्ष 1982 में हुई थी और यह विकास में बड़ी भूमिका निभा रहा है। लगभग सभी सरकारी विभाग जैसे कृषि, सिंचाई, वन, ग्रामीण विकास, स्वास्थ्य और आपदा प्रबंधन अब स्पेस टेक्नोलॉजी का उपयोग कर रहे हैं।
सिंह ने कहा कि सैटेलाइट आधारित संचार प्रणाली उन क्षेत्रों में वरदान है जहां फाइबर ऑप्टिक नेटवर्क नहीं पहुंच पाया है। साथ ही उन्होंने डिजिटल फसल सर्वे को मैनुअल सर्वे से बेहतर, अधिक सटीक और विश्वसनीय बताया।
उन्होंने ISRO से ऐसी तकनीक विकसित करने की अपील की जिससे बारिश और बिजली गिरने का सटीक पूर्वानुमान दिया जा सके, ताकि किसानों को समय रहते सचेत किया जा सके।
इस मौके पर ‘उत्तर प्रदेश में अंतरिक्ष तकनीकी अनुप्रयोगों और भविष्य की बुनियादी ज़रूरतों’ पर आधारित एक रिपोर्ट का विमोचन भी किया गया। साथ ही विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के प्रमुख सचिव पंधारी यादव ने बताया कि रिमोट सेंसिंग की बदौलत अब प्रदेश में तकनीकी गति और विकास दोनों को बल मिल रहा है।
कार्यक्रम में इसरो बेंगलुरु के डॉ जेवी थॉम्स समेत कई वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।