“2024 में Japan का औसत तापमान रिकॉर्ड स्तर पर, लगातार दूसरे साल उच्चतम तापमान का अनुमान”
Japan में 2024 का औसत तापमान लगातार दूसरे साल रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचने का अनुमान है। Japan मौसम विज्ञान एजेंसी (जेएमए) के प्रारंभिक आंकड़ों के अनुसार, नवंबर महीने का औसत तापमान 2020 तक के 30 सालों के वार्षिक औसत से 1.64 डिग्री सेल्सियस अधिक था, जो 1898 में मौसम डेटा एकत्रित होने के बाद से सबसे ऊंचा स्तर था। इस असामान्य तापमान में वृद्धि का मुख्य कारण पछुआ हवाओं के साथ आने वाली गर्म हवा को बताया गया है, जो सामान्य से अधिक उत्तर दिशा में प्रवाहित हुई।
Japan का तापमान पिछले कुछ वर्षों में लगातार बढ़ रहा है और हाल के वर्षों में 2019 से 2023 तक का पांच साल का समय Japan के सबसे गर्म वर्षों में शामिल है। जेएमए के एक अधिकारी ने इसे “असामान्य रूप से उच्च तापमान” बताया और कहा कि यह ग्लोबल वार्मिंग के प्रभावों के साथ-साथ मौसम की पैटर्न में परिवर्तन का परिणाम हो सकता है।
ग्लोबल वार्मिंग और अत्यधिक गर्मी
ग्लोबल वार्मिंग के प्रभावों ने Japan के मौसम को प्रभावित किया है, जिससे देश में औसत तापमान में लगातार वृद्धि हो रही है। जेएमए के अधिकारियों के अनुसार, बढ़ते तापमान का एक अन्य कारण पछुआ हवाओं द्वारा लाई गई गर्म हवा है, जो पिछले वर्षों में सामान्य से अधिक उत्तर दिशा में चली गई। 2024 में, यह गर्म हवा देश की समुद्र तटों तक पहुंची, जिससे तापमान में अप्रत्याशित वृद्धि देखी गई। इस परिस्थिति ने जापान में जलवायु परिवर्तन के स्पष्ट संकेत दिए हैं और यह देश के विभिन्न हिस्सों में असामान्य मौसम की स्थिति उत्पन्न कर रहा है।
समुद्र का बढ़ा तापमान
2023 के अंत तक, Japan के आसपास के समुद्रों की औसत सतह का तापमान भी वार्षिक औसत से 1.46 डिग्री सेल्सियस अधिक था। यह तापमान 1908 में तुलनीय डेटा उपलब्ध होने के बाद से अब तक का सबसे अधिक तापमान था। समुद्र का तापमान बढ़ने से न केवल समुद्री जीवन पर प्रभाव पड़ा है, बल्कि इससे तूफानों और जलवायु में अन्य बदलावों के कारण प्राकृतिक आपदाओं का खतरा भी बढ़ सकता है। समुद्र का बढ़ा हुआ तापमान, ग्लोबल वार्मिंग की एक गंभीर निशानी है, जो Japan और उसके आस-पास के क्षेत्रों के पर्यावरण को प्रभावित कर रहा है।
Japan के मौसम के बदलते पैटर्न और प्रभाव
Japan के मौसम में हालिया परिवर्तन और तापमान में वृद्धि ने कई प्रकार के पर्यावरणीय और सामाजिक प्रभाव उत्पन्न किए हैं। उच्च तापमान के कारण ग्रीष्मकाल में अधिक गर्मी की लहरें, कृषि और जल संसाधन पर दबाव डाल रही हैं। इसके अलावा, समुद्र के बढ़ते तापमान से बर्फबारी की घटना में कमी और मानसून की स्थिति पर असर पड़ा है, जो स्थानीय निवासियों के जीवन और उनकी आजीविका को प्रभावित कर रहा है।
प्राकृतिक आपदाओं का खतरा
ग्लोबल वार्मिंग और अत्यधिक गर्मी के बढ़ते प्रभावों से जापान में प्राकृतिक आपदाओं का खतरा भी बढ़ा है। जलवायु परिवर्तन के कारण बढ़ती गर्मी, तूफानों और बाढ़ की घटनाओं में वृद्धि कर सकती है, जो देश के बुनियादी ढांचे और नागरिकों के जीवन को प्रभावित कर सकती हैं। समुद्र के बढ़ते तापमान और उच्च तापमान के कारण, तटीय क्षेत्रों में अधिक तूफान और भारी बारिश हो सकती है, जिससे न केवल बुनियादी ढांचे को नुकसान पहुंचता है, बल्कि मानवीय जीवन भी प्रभावित होता है।
जलवायु परिवर्तन पर जापान की प्रतिक्रिया
जलवायु परिवर्तन की गंभीरता को समझते हुए, जापान सरकार ने जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए कई कदम उठाए हैं। Japan ने 2050 तक कार्बन न्यूट्रल बनने का लक्ष्य रखा है और इसके तहत कई नीतियाँ और योजनाएँ बनाई गई हैं। साथ ही, Japan ने नवीकरणीय ऊर्जा के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए कई पहल की हैं ताकि यह पर्यावरण पर पड़ने वाले दबाव को कम किया जा सके।
इसके अलावा, जापान सरकार और वैज्ञानिक समुदाय मिलकर जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को नियंत्रित करने के लिए विभिन्न उपायों पर विचार कर रहे हैं। जापान का जलवायु नीति और तकनीकी नवाचारों के माध्यम से कार्बन उत्सर्जन को कम करने का प्रयास भविष्य में इस देश को जलवायु परिवर्तन से प्रभावित होने से बचाने में सहायक हो सकता है।
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