Kejriwal की मुश्किलें बढ़ीं: यमुना पानी में जहर के आरोपों पर 17 फरवरी को पेश होने का आदेश
दिल्ली के मुख्यमंत्री Kejriwal की मुश्किलें यमुना के पानी में जहर मिलाने के आरोपों के बाद और बढ़ गई हैं। सोनीपत के एक अदालत ने उन्हें 17 फरवरी को अदालत में पेश होने का नोटिस जारी किया है। यह नोटिस उनके द्वारा लगाए गए उन गंभीर आरोपों को लेकर है,
जिनमें उन्होंने कहा था कि हरियाणा सरकार दिल्ली भेजे जाने वाले पानी में जहर मिला रही है। इस मामले में, कोर्ट ने Kejriwal को तलब किया और उन्हें व्यक्तिगत रूप से पेश होने का आदेश दिया। इस घटनाक्रम ने राजनीति में नई उथल-पुथल मचा दी है और अब यह देखना दिलचस्प होगा कि इस आरोपों पर अदालत में क्या प्रक्रिया अपनाई जाती है।
1. Kejriwal का जहर मिलाने का आरोप:
Kejriwal ने 26 जनवरी 2025 को एक प्रेस वार्ता के दौरान यह दावा किया था कि हरियाणा में भाजपा नेताओं के एक समूह ने जानबूझकर यमुना नदी में जहर मिला दिया है ताकि पानी में मिलकर दिल्ली में उसे आपूर्ति किया जा सके। उनका आरोप था कि यह कदम इस उद्देश्य से उठाया गया था ताकि दिल्ली के लोग बीमार हो जाएं और यदि किसी की मृत्यु होती है, तो उसे आप पार्टी के नेताओं पर दोषी ठहराया जा सके।
Kejriwal ने कहा था कि हरियाणा सरकार द्वारा जहर मिलाने की यह कोशिश दिल्ली की राजनीति को नुकसान पहुंचाने के लिए की जा रही थी, और इस बयान के बाद उनकी आलोचना और कानूनी संकट बढ़ गया।
2. सोनीपत कोर्ट का नोटिस:
Kejriwal के बयान के बाद, सोनीपत के राय वाटर सर्विस डिविजन के एक एग्जीक्यूटिव इंजीनियर ने उनके खिलाफ शिकायत दर्ज कराई। इस पर सोनीपत की मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (सीजेएम) ने केजरीवाल को 17 फरवरी 2025 को अदालत में पेश होने के लिए नोटिस जारी किया।
अदालत ने कहा कि अगर Kejriwal को इस मामले में कुछ कहना है, तो उन्हें 17 फरवरी को व्यक्तिगत रूप से पेश होकर अपनी बात रखनी होगी। अगर वे अदालत में पेश नहीं होते हैं, तो अदालत यह मान लेगी कि उन्हें इस मामले में कोई बयान नहीं देना है, और फिर कानूनी कार्यवाही की जाएगी।
3. हरियाणा सरकार का कड़ा रुख:
इससे पहले, हरियाणा के राजस्व एवं आपदा प्रबंधन मंत्री विपुल गोयल ने केजरीवाल के बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया दी थी। उन्होंने कहा कि Kejriwal का यह बयान न केवल असत्य था, बल्कि यह एक गैरजिम्मेदाराना और बेबुनियाद आरोप था, जिसे तुरंत वापस लिया जाना चाहिए।
विपुल गोयल ने यह भी कहा कि हरियाणा सरकार Kejriwal के खिलाफ सोनीपत के सीजेएम कोर्ट में मामला दर्ज कराने जा रही है। उन्होंने बताया कि आरोप के तहत आपदा प्रबंधन अधिनियम, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस), और भारतीय न्याय संहिता के तहत मामला दर्ज किया जाएगा।
4. Kejriwal के आरोपों का राजनीतिक प्रभाव:
Kejriwal के आरोपों का राजनीतिक असर भी तेजी से फैल रहा है। उनके बयान ने दिल्ली और हरियाणा के बीच राजनीतिक तनाव को और बढ़ा दिया है। भाजपा और आप पार्टी के बीच यह आरोप-प्रत्यारोप का मामला बन गया है, जिससे आम आदमी को इस विवाद के असर के रूप में आम जीवन में परेशानी हो सकती है। Kejriwal ने जो आरोप लगाया है, उससे दोनों राज्यों के बीच पानी की आपूर्ति और उससे संबंधित विवाद भी गहरा सकता है।
5. बीएनएसएस के तहत कानूनी प्रक्रिया:
Kejriwal पर आरोप हैं कि उन्होंने बिना ठोस प्रमाण के हरियाणा सरकार पर गंभीर आरोप लगाए। भारत सरकार के नियमों के तहत, बीएनएसएस (भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता) की धारा 223 के तहत आरोपित व्यक्ति को अदालत में पेश होने का अवसर मिलता है। इसके बाद, अगर अदालत को मामला साबित होता है, तो कानूनी कार्रवाई की जाएगी। इस मामले में Kejriwal को अदालत में पेश होकर अपनी सफाई देनी होगी, और अगर वे ऐसा नहीं करते हैं तो अदालत उन्हें दोषी ठहरा सकती है।
6. आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत मामला:
हरियाणा सरकार ने Kejriwal के खिलाफ आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 की धारा 54 के तहत कार्रवाई करने का ऐलान किया है। इस अधिनियम के तहत किसी भी प्रकार की गलत सूचना फैलाने को गंभीर अपराध माना जाता है, विशेष रूप से अगर वह किसी आपदा या संकट के दौरान की जाए। विपुल गोयल ने कहा कि केजरीवाल का बयान लोगों में डर और घबराहट फैलाने वाला था, जो कि किसी भी सरकार के लिए आपत्ति जनक है।
7. विपुल गोयल का बयान और सरकार का रुख:
विपुल गोयल ने मीडिया से कहा, “Kejriwal ने अपने बयान से दिल्ली और हरियाणा के लोगों में भय का माहौल बनाया है। उनका यह बयान न केवल निराधार है बल्कि एक तरह से समाज में अनावश्यक तनाव पैदा करने वाला भी है। हम इस मामले को कानूनी तरीके से सुलझाने के लिए हर संभव कदम उठाएंगे।” गोयल ने यह भी कहा कि यह बयान हरियाणा की छवि को नुकसान पहुंचाने के उद्देश्य से दिया गया था।
8. दिल्ली में पानी की स्थिति:
Kejriwal ने अपने बयान में यह भी कहा था कि हरियाणा से आ रहा पानी अब दिल्ली के वाटर ट्रीटमेंट प्लांट से भी नहीं साफ हो सकता, और इसके चलते दिल्ली में पानी की आपूर्ति प्रभावित हो रही है। हालांकि, इस बयान को लेकर भी विवाद उठ गया है, क्योंकि सरकार की ओर से ऐसे किसी आरोप को सीधे तौर पर समर्थन नहीं मिला है।
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