Yashasvi Jaiswal के कैच पर स्निको Technology पर उठे सवाल

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Yashasvi Jaiswal के कैच पर स्निको Technology पर उठे सवाल

Technology: भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच चौथे टेस्ट मैच के आखिरी दिन एक विवाद ने जन्म लिया जब Yashasvi Jaiswal को थर्ड अंपायर ने कैच आउट दिया। कैच आउट के फैसले के बाद से सोशल मीडिया और क्रिकेट समुदाय में बहस छिड़ गई थी। टीवी रिप्ले के दौरान यह साफ दिखाई दे रहा था कि गेंद Yashasvi Jaiswal के बल्ले या ग्लव्स से टकराई थी, लेकिन स्निको मीटर Technology ने इस घटना में कोई हरकत नहीं दिखाई, जिससे इस फैसले पर सवाल उठने लगे। इसके बाद इस फैसले को लेकर भारत में क्रिकेट प्रेमियों, कमेंटेटरों और बीसीसीआई के अधिकारियों में नाराजगी देखी गई।

स्निको मीटर की तकनीकी खामी पर उठे सवाल
जैसे ही Yashasvi Jaiswal के कैच पर थर्ड अंपायर का फैसला आया, इसके बाद पूरे क्रिकेट जगत में हड़कंप मच गया। भारत में मैच देख रहे बीसीसीआई के उपाध्यक्ष राजीव शुक्ला और मशहूर कमेंटेटर सुनील गावस्कर भी इस फैसले से नाराज दिखाई दिए। उनका कहना था कि गेंद के बल्ले या ग्लव्स से टकराने का स्पष्ट संकेत था, लेकिन स्निको मीटर में कोई हरकत क्यों नहीं आई, यह सवाल उठाया गया। यही नहीं, भारतीय टीम के कप्तान और अन्य खिलाड़ी भी इस फैसले को लेकर असमंजस में दिखे।

फाउंडर का बयान – स्निको Technology के बारे में विस्तार से
इस विवाद के बीच स्निको Technology के फाउंडर ने अब इस मामले पर अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने यह बताया कि आखिर क्यों आरटीएस (रेफरल ट्रैकिंग सिस्टम) में कोई हरकत नहीं आई। स्निको Technology के फाउंडर ने कहा कि आरटीएस या स्निको मीटर एक अत्यंत संवेदनशील तकनीक है, लेकिन यह हमेशा बल्लेबाज के बल्ले या ग्लव्स से टकराने की घटनाओं को सही तरीके से पकड़ नहीं पाती।

उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि कभी-कभी गेंद के संपर्क में आने के बावजूद आरटीएस में कोई हरकत नहीं दिखती, क्योंकि यह तकनीक हवा के दबाव और गेंद की गति पर निर्भर करती है। इसके अलावा, गेंद की सतह पर उबड़-खाबड़ हिस्सा भी इसके द्वारा पकड़ने में बाधा डाल सकता है।

स्निको मीटर का कार्य और सीमा
स्निको मीटर का कार्य बल्लेबाज के बल्ले या ग्लव्स से टकराने की सूक्ष्मता को कैप्चर करना होता है। हालांकि यह तकनीक आमतौर पर बहुत प्रभावी होती है, लेकिन कभी-कभी इसकी कार्यप्रणाली में सीमाएं होती हैं। तकनीकी दृष्टिकोण से, जब गेंद बल्ले के ऊपरी हिस्से से टकराती है या यदि संपर्क बहुत हल्का होता है, तो स्निको मीटर में कोई बदलाव नहीं दिखता। इसके अतिरिक्त, यदि गेंद बल्ले से किसी ऐसे स्थान पर टकराती है, जहां से कम कंपन उत्पन्न होते हैं, तो यह सिस्टम भी उसका सही तरीके से पता नहीं लगा सकता। यही कारण है कि इस बार यशस्वी जायसवाल के कैच की स्थिति में आरटीएस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं हुई।

भारत में बढ़ी विवाद की चर्चा
भारत में इस फैसले को लेकर बढ़ी हुई चर्चा के दौरान, क्रिकेट प्रेमियों और विशेषज्ञों ने इस तकनीक की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए। सुनील गावस्कर जैसे दिग्गज भी थर्ड अंपायर के फैसले से नाराज थे, और उन्होंने कहा कि तकनीकी प्रणाली में कोई गड़बड़ी हो सकती है, जिसका परिणाम इस फैसले पर पड़ा। इसके अलावा, कई सोशल मीडिया यूजर्स ने इस फैसले पर अपनी प्रतिक्रिया दी और इसे थर्ड अंपायर के फैसले से जोड़ते हुए सिस्टम की दक्षता पर सवाल उठाए।

स्निको Technology का महत्व और क्रिकेट में इसकी भूमिका
क्रिकेट में स्निको Technology का इस्तेमाल पिछले कुछ वर्षों में काफी बढ़ा है। यह तकनीक बल्लेबाज के बल्ले से संपर्क की सूक्ष्मता को ट्रैक करने में मदद करती है, जिससे अंपायर के लिए सही निर्णय लेना आसान होता है। हालांकि, यह तकनीक अब तक बहुत प्रभावी रही है, लेकिन इसका सही इस्तेमाल और इसकी सीमाओं को समझना भी बहुत जरूरी है। विशेष रूप से हाई-प्रोफाइल मैचों में, जहां प्रत्येक फैसला महत्वपूर्ण होता है, यह तकनीकी गड़बड़ी फैसलों को प्रभावित कर सकती है।

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