Rajasthan Shikshak Sangh Mahadhiveshan में शिक्षा की आत्मा पर हुआ मंथन
Governor Haribhau Bagde ने गोगामेड़ी, हनुमानगढ़ में आयोजित Rajasthan Shikshak Sangh Rashtriya Mahadhiveshan के समापन सत्र में कहा कि शिक्षक राष्ट्रनिर्माण की रीढ़ हैं और शिक्षा का उद्देश्य केवल ज्ञान नहीं, बल्कि चरित्र निर्माण होना चाहिए।
“1835 की Macaulay Education Policy ने भारतीय शिक्षा की आत्मा को नष्ट किया, लेकिन NEP 2020 उस आत्मा को पुनर्जीवित कर रही है”।

National Education Policy 2020 की विशेषताएं
- 400 कुलपति और 1000+ शिक्षाविदों के दो वर्षों के मंथन से बनी नीति
- केवल पाठ्यक्रम परिवर्तन नहीं, बल्कि भारतीय ज्ञान परंपरा की पुनर्स्थापना
- गुरुकुल परंपरा को आधुनिक संदर्भ में पुनर्जीवित करने का आह्वान
- शिक्षा को जीवन पद्धति और मूल्य आधारित दृष्टिकोण से जोड़ने की आवश्यकता
शिक्षक: समाज का दर्पण और संस्कारदाता
राज्यपाल ने कहा कि शिक्षक को जर्मनी की तरह सर्वोच्च वेतन और सामाजिक सम्मान मिलना चाहिए। > “बच्चे को केवल नंबर नहीं, संस्कार देना शिक्षक का धर्म है।”
उन्होंने हीरालाल शास्त्री, हरिभाऊ उपाध्याय, डॉ. अंबेडकर, दुर्गाराम, केशव माधव जैसे प्रेरणास्रोतों का उल्लेख करते हुए शिक्षकों को समाज निर्माण में सक्रिय भूमिका निभाने का आह्वान किया।
मदन दिलावर का वक्तव्य: “शिक्षक गढ़ता है भविष्य”
शिक्षा एवं पंचायतीराज मंत्री Madan Dilawar ने कहा: > “मूर्तिकार मिट्टी से राम और रावण दोनों बना सकता है — यह शिक्षक पर निर्भर करता है कि वह क्या गढ़ता है।”
धार्मिक आस्था और शिक्षा का संगम
राज्यपाल और मंत्री ने गुरु गोरखनाथ धाम और गोगाजी मंदिर में दर्शन कर शिक्षा और संस्कृति के समन्वय का संदेश दिया।
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