PM Modi ने ग्रामीण भारत में विकास की दिशा और योजनाओं पर जोर दिया
PM Modi ने हाल ही में ग्रामीण भारत में किए जा रहे सुधारों और विकासात्मक योजनाओं पर जोर दिया। उन्होंने बताया कि सरकार की मंशा, नीतियां और फैसले ग्रामीण भारत में नई ऊर्जा का संचार कर रहे हैं, जिससे किसानों, ग्रामीणों और स्थानीय कारीगरों के जीवन में सुधार हो रहा है। PM Modi ने इस बात पर जोर दिया कि सरकार का मुख्य उद्देश्य ग्रामीणों को अधिकतम आर्थिक सहायता प्रदान करना, उन्हें खेती में शामिल करना, और रोजगार एवं स्वरोजगार के नए अवसर पैदा करना है।
पीएम किसान सम्मान निधि और कृषि क्षेत्र में सुधार
PM Modi ने अपने भाषण में बताया कि प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (PM-KISAN) के माध्यम से किसानों को लगभग तीन लाख करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता दी जा चुकी है। यह योजना किसानों को आर्थिक सहायता प्रदान करती है, जिससे उनकी आय बढ़ाने में मदद मिलती है और कृषि क्षेत्र को मजबूती मिलती है। इसके साथ ही, प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि देश में 9,000 से अधिक किसान उत्पादक संगठन (FPOs) को वित्तीय सहायता मिल रही है, जिससे किसानों को अपने उत्पादों को अच्छे दामों पर बेचने का मौका मिल रहा है।
PM Modi ने आगे बताया कि भारत सहकारिता के माध्यम से समृद्धि की राह पर है। इसी दिशा में 2021 में सहकारिता मंत्रालय की स्थापना की गई थी, जिसका उद्देश्य देश में सहकारी संस्थाओं को और अधिक प्रभावी बनाना और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बेहतर बनाना है। उन्होंने यह भी कहा कि लगभग 70,000 प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (PACS) का कम्प्यूटरीकरण किया जा रहा है, जिससे किसानों को बेहतर वित्तीय सहायता मिलेगी और उनका जीवन स्तर बेहतर होगा।
पारंपरिक कौशलों का समर्थन: विश्वकर्मा योजना
PM Modi ने यह भी कहा कि हमारे गांवों में पारंपरिक कलाएं और कौशल जैसे लोहार, बढ़ईगीरी, और मिट्टी के बर्तन बनाने जैसी कई प्राचीन व्यवसायों का महत्व है, जो ग्रामीण और स्थानीय अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान करते हैं। हालांकि, पहले इन व्यवसायों को उपेक्षित किया गया था। अब सरकार इन पारंपरिक व्यवसायों को बढ़ावा देने के लिए ‘विश्वकर्मा योजना’ लागू कर रही है। यह योजना कारीगरों को प्रशिक्षण, सस्ती सहायता और अपने कौशल को बढ़ाने का अवसर प्रदान करेगी।
विश्वकर्मा योजना के तहत, लाखों कारीगरों को अपने काम में उत्कृष्टता हासिल करने और अपनी पहचान बनाने का मौका मिलेगा। इसके साथ ही, यह योजना ग्रामीण क्षेत्रों में स्वरोजगार के अवसर भी प्रदान करेगी, जिससे ग्रामीणों की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी और उन्हें अपनी पारंपरिक कलाओं के माध्यम से आजीविका का साधन मिलेगा।
10 वर्षों की मेहनत का परिणाम
PM Modi ने यह भी कहा कि जब सरकार के इरादे नेक होते हैं, तो परिणाम संतोषजनक होते हैं। उन्होंने देश के पिछले 10 वर्षों की कड़ी मेहनत और योजनाओं के परिणामों का उल्लेख करते हुए कहा कि अब भारत उसका लाभ उठा रहा है। एक हालिया सर्वेक्षण के आंकड़े भी सामने आए, जिसमें यह बात सामने आई कि 2011 की तुलना में ग्रामीण भारत में खपत लगभग तीन गुना बढ़ गई है। यह दर्शाता है कि लोग अब अपनी पसंदीदा वस्तुओं पर अधिक खर्च कर रहे हैं, जो उनके बढ़ते जीवन स्तर का संकेत है।
PM Modi ने यह भी कहा कि पहले ग्रामीणों को अपनी आय का 50 प्रतिशत से अधिक हिस्सा भोजन पर खर्च करना पड़ता था, लेकिन अब ऐसा नहीं है। अब, स्वतंत्रता के बाद पहली बार, ग्रामीण क्षेत्रों में भोजन पर खर्च 50 प्रतिशत से कम हो गया है, जिसका मतलब है कि लोग अब अन्य इच्छाओं और जरूरतों पर भी खर्च कर रहे हैं। यह बदलाव ग्रामीण भारत की आर्थिक स्थिति में सुधार और जीवन स्तर में वृद्धि को दर्शाता है।
PM Modi की नीतियों का प्रभाव
PM Modi ने अपने बयान में यह साफ किया कि सरकार की नीतियां और योजनाएं केवल विकास की दिशा में नहीं, बल्कि ग्रामीणों की जीवनशैली में सुधार के लिए भी बनाई गई हैं। इन योजनाओं का उद्देश्य केवल किसानों या कारीगरों को ही आर्थिक सहायता देना नहीं है, बल्कि उनके जीवन के सभी पहलुओं को बेहतर बनाना है। प्रधानमंत्री ने उदाहरण देते हुए कहा कि आज ग्रामीण क्षेत्रों में लोग पहले से अधिक खर्च कर रहे हैं, जिससे उनकी जीवनशैली में सुधार हो रहा है। यह न केवल आर्थिक समृद्धि को दर्शाता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि सरकार की योजनाएं ग्रामीण भारत को सशक्त बना रही हैं।
समग्र विकास की दिशा में कदम
PM Modi ने बताया कि सरकार ने कृषि क्षेत्र के अलावा ग्रामीण भारत में बुनियादी ढांचे के विकास के लिए भी कई योजनाओं की शुरुआत की है। इसके तहत सड़कों, स्कूलों, स्वास्थ्य सुविधाओं, बिजली और जल आपूर्ति के लिए योजनाएं बनाई गई हैं, जो ग्रामीण क्षेत्रों के समग्र विकास को सुनिश्चित करती हैं। सरकार का लक्ष्य यह है कि ग्रामीण क्षेत्रों को अब केवल कृषि या पारंपरिक व्यवसायों तक सीमित नहीं रखा जाए, बल्कि वहां भी उद्योग और सेवाओं के नए अवसर उत्पन्न हों, जिससे एक समृद्ध और आत्मनिर्भर ग्रामीण अर्थव्यवस्था बन सके।
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