जयपुर | 2 जुलाई 2025
राजस्थान में SI भर्ती रद्द करने की मांग को लेकर 26 मई से जयपुर के शहीद स्मारक पर धरना दे रहे RLP प्रमुख हनुमान बेनीवाल अब दिल्ली कूच की तैयारी में हैं। राजस्थान हाईकोर्ट में सरकार के जवाब के बाद बेनीवाल ने आज (2 जुलाई) पार्टी की आपात बैठक बुलाई है, जिसमें आंदोलन को दिल्ली तक ले जाने के निर्णय पर अंतिम मुहर लगेगी।
❝राजस्थान सरकार युवाओं को जयपुर नहीं आने दे रही और दिल्ली में केंद्र सरकार रोक लगा रही है❞ — बेनीवाल
हनुमान बेनीवाल का यह बयान इस बात की ओर इशारा करता है कि अब RLP का आंदोलन सिर्फ SI भर्ती तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि इसे राजनीतिक दिशा देने की पूरी तैयारी है। वे इसे ‘युवाओं के अधिकार बनाम सरकार की बेरुखी’ का बड़ा मुद्दा बनाना चाहते हैं।
पंचायत चुनाव से पहले बेनीवाल की अग्निपरीक्षा
2023 के विधानसभा चुनाव में पार्टी खाता नहीं खोल सकी और 2024 के लोकसभा उपचुनाव में उनकी पत्नी की हार से संगठन को करारा झटका लगा। अब बेनीवाल की अगली राजनीतिक परीक्षा राजस्थान पंचायत चुनाव हैं। राज्य की:
33 जिला परिषदें
350 पंचायत समितियां, 11,000+ ग्राम पंचायतें…पर चुनाव संभावित हैं और RLP इन्हें पार्टी की प्रासंगिकता बचाने का अवसर मान रही है। हालांकि ‘वन स्टेट, वन इलेक्शन’ मॉडल के कारण चुनावों में देरी हो रही है, लेकिन बेनीवाल ने गांव-गांव जाकर संगठन को मजबूत करना शुरू कर दिया है।
जाटलैंड से मेवाड़ तक: संगठन का पुनर्निर्माण
बेनीवाल की रणनीति साफ है — संगठन को फिर से खड़ा करना।
नागौर, बीकानेर, झुंझुनूं (जाटलैंड) से लेकर उदयपुर, चित्तौड़ (मेवाड़) तक संगठन को सक्रिय किया जा रहा है।
उन्होंने पूर्व विधायक रेवंतराम डांगा, उदयलाल डांगी और सांसद उम्मेदाराम बेनीवाल जैसे पुराने साथियों को फिर से जोड़ा है।
जिलों में नए प्रभारी नियुक्त किए जा रहे हैं ताकि पंचायत चुनाव से पहले मजबूत ज़मीन तैयार की जा सके।
सरकार पर लगातार हमलावर RLP प्रमुख
बेनीवाल ने भजनलाल शर्मा सरकार को निशाने पर लेते हुए कहा: “कैबिनेट सब-कमेटी पहले भर्ती रद्द करने के पक्ष में थी, लेकिन अब हाईकोर्ट में इसे जल्दबाजी बता कर भ्रम फैलाया जा रहा है।” उन्होंने कैबिनेट सब-कमेटी के अध्यक्ष जोगाराम पटेल पर भी सीधा निशाना साधा।
अन्य जनमुद्दों पर भी मोर्चा खोल चुके हैं बेनीवाल
RLP प्रमुख की सक्रियता सिर्फ SI भर्ती तक सीमित नहीं रही है। उन्होंने विभिन्न जनमुद्दों पर भी सरकार को घेरा है, जोधपुर में डॉ. राकेश बिश्नोई की आत्महत्या और उदयपुर में डॉ. रवि शर्मा की संदिग्ध मौत पर आवाज उठाई विधायक अभिमन्यु पूनिया की हिरासत और छात्र नेता निर्मल चौधरी की गिरफ्तारी पर जयपुर पुलिस पर हमला बोला, रियां बड़ी में अवैध बजरी लीज निरस्त कराने की मांग को लेकर आंदोलन, बीकानेर में करणी माता के ओरण संरक्षण आंदोलन में भागीदारी
राजनीतिक विश्लेषकों की नजर में: निर्णायक मोड़ पर RLP
विशेषज्ञ मानते हैं कि RLP और हनुमान बेनीवाल दोनों के लिए यह वक्त “करो या मरो” जैसा है। जयपुर से दिल्ली तक का यह आंदोलन पार्टी के लिए सिर्फ राजनीतिक अस्तित्व की लड़ाई नहीं, बल्कि 2023 की हार के बाद राजनीतिक पुनरुद्धार की रणनीति है। अब देखना होगा कि पंचायत चुनावों से पहले RLP ज़मीन पर वापसी कर पाती है या फिर यह संघर्ष और भी सिमटता है।
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