Sambhal से मुजफ्फरनगर तक: मुस्लिम इलाकों में ‘खंडहर’ बने सदियों पुराने मंदिर, सालों से बुझा पड़ा दीपक

By Editor
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Sambhal हिंसा के बाद बंद मंदिरों का रहस्य: खंडहर में तब्दील प्राचीन स्थल और देखभाल का अभाव

Sambhal जिले के विभिन्न मुस्लिम इलाकों में लंबे समय से बंद पड़े मंदिरों की खोज शुरू हो गई है। हाल ही में, संभल जिले में प्रशासन ने दो मंदिरों को फिर से खोलने का फैसला किया, जिनका सालों से रखरखाव नहीं हो रहा था। अब, इस घटना के बाद चंदौसी के मुस्लिम बहुल इलाके लक्ष्मणगंज में स्थित 152 साल पुराना बांके बिहारी प्राचीन मंदिर भी खंडहर में तब्दील हो चुका है।

मंदिर के अस्तित्व के लिए जिम्मेदार लोग मानते हैं कि यहां कभी हिंदू समुदाय की अच्छी-खासी आबादी थी, लेकिन अब मुस्लिम आबादी के बढ़ने से मंदिर की पूजा-अर्चना बंद हो गई थी। मंदिर की संरक्षक कृष्णा कुमार बताते हैं कि मंदिर में पूजा 2010 तक होती थी, लेकिन उसके बाद भगवान बांके बिहारी की प्रतिमा और शिवलिंग को नुकसान पहुंचाया गया।

Sambhal के अन्य खंडहर होते मंदिरों का खुलासा

Sambhal के बाद अब चंदौसी के लक्ष्मणगंज में स्थित इस मंदिर की दयनीय स्थिति ने सवाल खड़ा किया है। मंदिर के भीतर मूर्तियां और अन्य धार्मिक प्रतीक खंडित हो चुके हैं। यह मंदिर, जो 152 साल पुराना है, कभी हिंदू धार्मिक गतिविधियों का केंद्र हुआ करता था, लेकिन मुस्लिम समुदाय के बढ़ने के साथ इसका रखरखाव बंद हो गया। यह मंदिर अब खंडहर के रूप में तब्दील हो चुका है। इसी तरह के मंदिर अब संभल और आसपास के क्षेत्रों में खोजे जा रहे हैं, जो अब देखभाल के अभाव में खंडहर हो चुके हैं।

मुजफ्फरनगर का शिव मंदिर और उसका दुखद इतिहास

Sambhal के अलावा, मुजफ्फरनगर जिले के लद्धावाला मोहल्ले में स्थित शिव मंदिर का भी हाल कुछ ऐसा ही है। यह मंदिर 1970 में स्थापित हुआ था और 1992 तक यहां पूजा-अर्चना होती रही। लेकिन 1992 में बाबरी मस्जिद विवाद और उसके बाद हुए सांप्रदायिक दंगों के कारण हिंदू समुदाय इस इलाके से चले गए, जिसके बाद मंदिर की देखभाल और पूजा पूरी तरह से बंद हो गई। अब इस मंदिर का हाल खंडहर जैसा हो गया है। मंदिर में रखी गई शिवलिंग और देवी-देवताओं की मूर्तियां भी कहीं गायब हो गई हैं। इस मंदिर का रखरखाव भी अब नहीं हो रहा है, और यह इलाके के अधिकांश मुस्लिम घरों के बीच में है।

Sambhal सांसद का हाईकोर्ट में मामला

Sambhal जिले में हुए सांप्रदायिक तनाव और हिंसा के बाद राजनीतिक हलचल भी तेज हो गई है। सपा सांसद जियाउर्रहमान बर्क ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। उन्होंने अपनी गिरफ्तारी पर रोक लगाने और उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर को खारिज करने की मांग की है। 24 नवंबर को संभल में जामा मस्जिद के सर्वे के दौरान हिंसा भड़क उठी थी। पथराव, आगजनी और फायरिंग की घटना में 5 लोग मारे गए थे। इस हिंसा को लेकर एफआईआर में जियाउर्रहमान बर्क और सपा विधायक इकबाल महमूद के बेटे पर भी आरोप लगाए गए हैं। अब इस मामले पर हाईकोर्ट में सुनवाई होगी।

Sambhal में सांप्रदायिक तनाव और उसके प्रभाव

Sambhal में हुई हिंसा और मंदिरों की स्थिति का असर केवल धार्मिक समुदायों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह स्थानीय राजनीति में भी बदलाव ला रहा है। खासकर, मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में मंदिरों का खंडहर होना एक बड़ा मुद्दा बन गया है, क्योंकि इससे सामाजिक सामंजस्य पर असर पड़ता है। वहीं, प्रशासन इन मंदिरों के पुनर्निर्माण और संरक्षण की दिशा में कोई ठोस कदम उठाने के लिए मजबूर हो सकता है।

मंदिरों का ऐतिहासिक महत्व और भविष्य

Sambhal और आसपास के क्षेत्रों में स्थित मंदिरों का ऐतिहासिक महत्व न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से, बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक दृष्टिकोण से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। इन मंदिरों के बंद होने से स्थानीय इतिहास और सांस्कृतिक धरोहर का क्षरण हो रहा है। इन मंदिरों का पुनर्निर्माण और संरक्षण न केवल हिंदू समुदाय के लिए, बल्कि समग्र रूप से समाज के लिए जरूरी है। इस दिशा में प्रशासन और स्थानीय प्रशासन को गंभीरता से कदम उठाने की आवश्यकता है।

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