Sachdeva का आरोप: कैग की रिपोर्ट को दबाकर क्यों छिपा रहे हैं केजरीवाल?
भारतीय जनता पार्टी (भा.ज.पा.) के दिल्ली प्रदेश के अध्यक्ष वीरेन्द्र Sachdeva ने दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि केजरीवाल और उनकी सरकार ने सरकारी आवास के सौंदर्यीकरण और विज्ञापनों पर हुए खर्च की नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की रिपोर्ट को जानबूझकर दबा रखा है। Sachdeva का कहना है कि केजरीवाल सत्ता गंवाने के डर से इस रिपोर्ट को विधानसभा में नहीं पेश कर रहे हैं।
कैग की रिपोर्ट: क्यों छिपाई जा रही है सच?
Sachdeva ने इस मुद्दे पर सवाल उठाते हुए कहा कि दिल्ली के लोग अक्सर यह सोचते हैं कि क्यों केजरीवाल और उनकी सरकार कैग की रिपोर्ट को विधानसभा में पेश नहीं करना चाहते, जबकि इस रिपोर्ट में कई ऐसे तथ्यों का खुलासा हो सकता है, जो दिल्ली सरकार की योजनाओं और खर्चों के बारे में असल सच्चाई उजागर करते हैं। उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय की फटकार के बावजूद दिल्ली सरकार ने इस रिपोर्ट को सार्वजनिक करने से परहेज किया है, जिससे यह स्पष्ट हो जाता है कि केजरीवाल इस रिपोर्ट से डरते हैं।
“शीश महल” और कैग की रिपोर्ट
Sachdeva ने दावा किया कि उन्होंने पहले “शीश महल” (अरविंद केजरीवाल का सरकारी आवास) से जुड़ी कैग की रिपोर्ट के कुछ महत्वपूर्ण हिस्सों को सार्वजनिक किया था। अब उन्होंने दिल्ली सरकार के प्रचार विज्ञापनों पर हुए खर्च के संबंध में भी कैग की रिपोर्ट को सामने रखा है। उनका कहना था कि इन रिपोर्टों में केजरीवाल की पोल खोलने के लिए पर्याप्त सामग्री है। इसके बाद, आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने कैग की रिपोर्ट को “फर्जी और रद्दी का कागज” करार दिया था, जिसका Sachdeva ने तीखा जवाब दिया।
उन्होंने कहा कि अगर संजय सिंह रिपोर्ट को फर्जी मानते हैं, तो वह जानना चाहते हैं कि असल में कैग की रिपोर्ट में क्या लिखा है। Sachdeva ने यह भी चुनौती दी कि अगर रिपोर्ट फर्जी नहीं है, तो केजरीवाल और उनके साथी इसे विधानसभा में पेश कर पूरी रिपोर्ट को सार्वजनिक करें और भाजपा से इस पर बहस करें।
केजरीवाल की विज्ञापन योजनाओं पर सवाल
Sachdeva ने दिल्ली सरकार द्वारा विज्ञापनों पर हुए खर्च पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि संविधान और उच्चतम न्यायालय के दिशा-निर्देशों के अनुसार, सरकारों को अपनी योजनाओं और उनके प्रचार पर खर्च तर्कसंगत होना चाहिए। उनका कहना था कि विज्ञापनों पर खर्च कभी भी योजना के वास्तविक खर्च से अधिक नहीं होना चाहिए, और इस पर किसी भी हालत में जनता के धन का दुरुपयोग नहीं होना चाहिए।
उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने यह स्पष्ट किया है कि सरकारें विज्ञापनों पर खर्च इस तरह से करें, ताकि योजना के लाभार्थियों तक सही जानकारी पहुंचे, लेकिन इस खर्च का कोई भी हिस्सा जनता के पैसों की बर्बादी का कारण न बने। इसके अलावा, Sachdeva ने यह भी आरोप लगाया कि केजरीवाल ने अपनी चार योजनाओं के प्रचार पर मूल योजना के खर्च से 31 गुना अधिक खर्च कर दिया।
Sachdeva की चुनौती: कैग की रिपोर्ट को विधानसभा में पेश करें
Sachdeva ने इस पूरे मामले पर अपनी बात रखते हुए केजरीवाल, सुश्री आतिशी और संजय सिंह को चुनौती दी कि वे दिल्ली विधानसभा की बैठक बुलाकर कैग की रिपोर्ट को सदन के पटल पर सार्वजनिक करें और भाजपा से इस पर एक खुली बहस करें। उनका कहना था कि अगर दिल्ली सरकार सही है, तो उसे इस रिपोर्ट को छिपाने की कोई जरूरत नहीं होनी चाहिए।
कैग की रिपोर्ट: वित्त वर्ष 2021-22 का खर्च
Sachdeva ने विशेष रूप से वित्त वर्ष 2021-22 से जुड़ी कैग की रिपोर्ट का हवाला देते हुए सवाल उठाया कि कैसे दिल्ली सरकार ने अपनी योजनाओं के प्रचार पर इतना अधिक खर्च किया। उन्होंने आरोप लगाया कि केजरीवाल की सरकार ने अपनी योजनाओं पर होने वाले खर्च से 31 गुना अधिक धन सिर्फ प्रचार पर खर्च किया, जो संविधान और न्यायालय के निर्देशों के खिलाफ है।